पटना। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 3 अक्टूबर को दोपहर 3:30 बजे एक विशेष कैबिनेट बैठक बुलाने का निर्णय लिया है। माना जा रहा है कि यह वर्तमान सरकार की अंतिम कैबिनेट बैठक हो सकती है, जिसमें जनकल्याण से जुड़े अहम प्रस्तावों को मुहर लगाई जाएगी। बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ दोनों उपमुख्यमंत्री सभी मंत्री और शीर्ष सचिव शामिल होंगे। राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर इसे बेहद रणनीतिक माना जा रहा है क्योंकि सरकार जनता को राहत देने वाले फैसले कर अपनी उपलब्धियों को पुष्ट करना चाहती है।

किन प्रस्तावों पर होगी चर्चा?

सूत्रों के अनुसार इस बैठक में कई महत्वपूर्ण विभागीय प्रस्तावों को शामिल किया गया है। इनमें सामाजिक कल्याण, महिला एवं बाल विकास, कृषि और ग्रामीण विकास से जुड़े कार्यक्रम हो सकते हैं। माना जा रहा है कि नए वित्तीय अनुदान, स्कीम विस्तार या संशोधन, सब्सिडी योजनाएं और भविष्य की सार्वजनिक परियोजनाएं इस बैठक में चर्चा का हिस्सा हों। इसके अलावा संभावित है कि अप्रयासों की समीक्षा, अनुशासनात्मक घोषणाएं और समयसीमा वाले योजनाओं की अंतिम स्वीकृति दी जाए। राजनीतिक जानकार इसे सरकार की विरासत उजागर करने की तैयारी भी मानते हैं।

आचार संहिता का असर

चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार एक बार आचार संहिता लागू हो जाने के बाद नई योजनाएं या घोषणाए बिना आयोग के परमिशन के नहीं की जा सकती है इसलिए इस बैठक को समय से पहले सरकार सुनिश्चित करना चाहती है कि लोक कल्याण के ऐसे कदम आखिरी समय तक न्यायोचित रूप से पब्लिक तक पहुंचे।

चर्चा का राजनीतिक पैनामा

राजनीतिक हल्कों में यह बैठक सियासी संदेश के रूप में भी देखी जा रही है। विपक्ष इसे चुनावी प्रचार के लिए उपयोग करने की कोशिश कर सकता है, जबकि सरकार इसे अपनी कार्यकाल की उपलब्धियों को जनता के सामने रखने का अवसर मानेगी। कई विश्लेषक मानते हैं कि प्रस्तावों की सामग्री इस बैठक के राजनीतिक वजन को तय करेगी चाहे लाभार्थियों को राहत देना हो या विकास की नई पहचान बनाना।