पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में विरोध प्रदर्शन और हिंसा का दौर जारी है। एक तरफ हजारों लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं तो दूसरी ओर पाक आर्मी इस विरोध को दबाने के लिए किसी भी हद तक जाती दिख रही है। बुधवार को सेना की ओर से प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई गई है। पाकिस्तानी सेना ने बाग जुले के धीरकोट में प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की है, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई है। वहीं कई लोग घायल हुए हैं।

जानकारी के मुताबिक, पीओके में ताजा अशांति में आठ लोग मारे गए हैं और 100 से ज्यादा घायल हुए हैं। बाग के धीरकोट में सबसे ज्यादा चार मौतें हुई हैं। कोहाला के पास ददयाल, मीरपुर, चमयाती और मुजफ़्फराबाद में दो-दो लोग मारे गए हैं। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों की सुरक्षाबलों से झड़प हुई है और पथराव किया गया है।

कहा हो रहे है प्रदर्शन ?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ये प्रदर्शन जम्मू-कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी (JKJAAC) की अपील पर हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी सरकार पर मौलिक अधिकारों की अनदेखी और महंगाई कंट्रोल न कर पाने का आरोप लगा रहे हैं। लोगों का हुजूम आज PoK की राजधानी मुजफ्फराबाद की तरफ मार्च कर रहा है। इन्होंने सरकार के सामने 38 मांगें रखी हैं, जिनमें PoK विधानसभा की 12 रिजर्व सीटें खत्म करने की मांग शामिल है।

प्रदर्शनकारी PoK की राजधानी मुजफ्फराबाद की तरफ मार्च करते हुए।
मार्च करते हुए लोकल (साभार- दैनिक भास्कर)

सरकार के सामने 38 मांगें रखी हैं, जिनमें 3 प्रमुख हैं…

  • पाकिस्तान में बसे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए बनी 12 विधानसभा सीटें खत्म करने की मांग।
  • बिजली परियोजनाओं में लोकल लोगों के फायदे को ध्यान रखा जाए।
  • आटे और बिजली के बिलों पर छूट देने की मांग, क्योंकि महंगाई से लोग परेशान हैं।

सैनिकों की लोग कर रहे पिटाई

पीओके में संचार सेवाएं ठप रहने के बीच सोमवार को ‘शटर डाउन’ और ‘चक्का जाम’ हड़ताल के चलते अशांति है। एक ओर सेना लोगों पर गोली बरसा रही है तो दूसरी ओर सेना को पीटा भी जा रहा है। मंगलवार कोप्रदर्शनकारियों ने दर्जनों पुलिसकर्मियों को पकड़ लिया और उनके हथियारों को छीन लिए। कई सुरक्षाकर्मियों की पिटाई भी की गई।

घायलों को हॉस्पिटल लेकर जाते प्रदर्शनकारी।

PoK में 12 रिजर्व सीटें खत्म करने की मांग क्यों हो रही

PoK में 12 रिजर्व सीटें भारत-प्रशासित जम्मू-कश्मीर के शरणार्थियों या प्रवासियों के लिए आरक्षित हैं। ये लोग 1947, 1965, 1971 युद्ध या बाद के संघर्षों की वजह से भारत से PoK चले गए थे। आरक्षित सीटों के कारण स्थानीय आबादी का प्रतिनिधित्व कम हो जाता है। स्थानीय लोग चाहते हैं कि उनकी समस्याओं और जरूरतों के लिए अधिक विधायक चुने जाएं। JKJAAC का कहना है कि रिजर्व सीटें होने से कुछ ही परिवारों को फायदा मिल रहा है।

आंदोलनकारी बोले- ये प्रदर्शन मौलिक अधिकार के लिए

JKJAAC नेता शौकत नवाज मीर ने कहा- हमारी मुहिम 70 साल से इनकार किए गए मौलिक अधिकारों के लिए है… या तो हक दो, वरना लोगों का गुस्सा झेलो।” उन्होंने मारे गए लोगों के परिवारों के लिए मुआवजा और सरकारी नौकरी भी मांगी रखी है। मीर ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा- यह हड़ताल ‘प्लान ए’ है। लोगों का सब्र टूट चुका है। हमारे पास बैकअप प्लान हैं और प्लान डी बहुत खतरनाक होगा।

PoK में पत्रकारों की एंट्री बैन

पाकिस्तान सरकार ने PoK में पत्रकारों और टूरिस्ट की एंट्री बैन कर दी है। लोकल रिपोर्टर्स भी आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें न्यूट्रल कवरेज करने से रोका जा रहा है। इसके अलावा कई मानवाधिकार संगठन भी इस मुद्दे पर आवाज उठा रहे हैं। PoK में आधी रात से इंटरनेट बंद कर दिया गया है। सरकार को डर है कि ये प्रदर्शन आजादी की मांग में बदल सकते हैं।

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