औरंगाबाद। सासाराम में 10 अक्टूबर को प्रस्तावित किसान महापंचायत को लेकर तैयारियां अब अंतिम चरण में पहुंच गई हैं। मंगलवार को औरंगाबाद के स्व. सत्येंद्र नारायण सिंह स्मारक भवन में भारतमाला परियोजना से प्रभावित किसानों की एक अहम बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में आंदोलन को मजबूत करने और आगामी रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में मौजूद संयुक्त किसान मोर्चा SKM के नेता दिनेश कुमार ने जानकारी दी कि इस महापंचायत में राष्ट्रीय किसान नेता राकेश टिकैत भी शिरकत करेंगे। उन्होंने कहा कि किसान अब चुप नहीं बैठेंगे और हजारों की संख्या में किसान सासाराम पहुंचकर इस आंदोलन को निर्णायक मोड़ देंगे। दिनेश कुमार ने जनप्रतिनिधियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अब उन्हें तय करना होगा कि वे किसानों के साथ हैं या सरकारी दमन के पक्ष में। खेतों में लगी फसलों को बिना मुआवजा दिए उजाड़ देना सरासर अन्याय है और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई जरूरी है।

मुआवजे में अनदेखी, किसानों में रोष

किसानों का आरोप है कि सरकार ने न तो भूमि का सही वर्गीकरण किया और न ही उन्हें उचित मुआवजा मिला। वर्तमान बाजार दर का चार गुना मुआवजा देने की घोषणा केवल कागजों तक सीमित रह गई है। अंचल कार्यालयों में एलपीसी बनवाने के नाम पर लूट मची है, जिसे किसान कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। दिनेश कुमार ने कहा कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, किसान प्रशासन को चैन से नहीं बैठने देंगे। आंदोलन अब आर-पार की लड़ाई में बदल चुका है।

जमीन हमारी जान है

संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता अशोक प्रसाद सिंह ने कहा कि हमारे पूर्वज खेत को बेटे से ज्यादा प्यार करते थे। जब एक सैनिक देश के लिए जमीन की रक्षा करता है, तो किसान भी अपने खेत के लिए बलिदान को तैयार है। उन्होंने याद दिलाया कि कोरोना महामारी के दौरान भी जब पूरा देश बंद था, तब भी कृषि कार्य चलता रहा, यही किसान की असली ताकत है। उन्होंने कहा सरकार हमारी जमीन छीनकर कॉर्पोरेट मित्रों को देना चाहती है, लेकिन हम चुप नहीं बैठेंगे। संघर्ष के लिए तैयार हैं।

ऐतिहासिक बनाने की तैयारी

बैठक की अध्यक्षता किसान चौपाल के प्रमुख राजकुमार सिंह ने की। बैठक में मुखिया मनोज कुमार सिंह, नरेंद्र सिंह, विजेंद्र मेहता, जगत प्रसाद सिंह, भोला पंडित, रामजीवन, विक्की कुमार, अमरेश दुबे, अमरेंद्र पांडे और अनुज कुमार सिंह समेत कई किसान नेताओं ने भाग लिया। सभी का कहना था कि औरंगाबाद से हजारों किसान सासाराम पहुंचकर महापंचायत को ऐतिहासिक बनाएंगे। आंदोलन को गांव-गांव तक पहुंचाने का निर्णय लिया गया है।