अजय नीमा, उज्जैन। महाकाल की नगरी उज्जैन में भगवान शिव के परम भक्त माने जाने वाले रावण की पूजा की जाती है। उज्जैन से लगभग 20 किलोमीटर दूर बड़नगर रोड पर स्थित चिकली गांव में दशहरे पर रावण दहन नहीं किया जाता, बल्कि उनकी पूजा की जाती है।
पूर्वज भी रावण की पूजा करते आ रहे
ग्रामीणों का कहना है कि यह परंपरा काफी पुरानी है और उनके पूर्वज भी रावण की पूजा करते आ रहे हैं। हालांकि इस परंपरा की शुरुआत कब और कैसे हुई, इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। आज भी ग्रामीण श्रद्धा के साथ रावण की प्रतिमा का पूजन करते हैं।
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गांव में निकाली जाती है सवारी
चैत्र मास में आने वाले दशहरे को यहां बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान मेला लगता है और रात में पूरे गांव में भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की सवारी निकाली जाती है। सवारी के बाद रावण की प्रतिमा की पूजा की जाती है।
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