Dussehra 2025 Traditions: आज विजयादशमी यानी दशहरा, असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई के प्रतीक पर्व के रूप में पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. रावण दहन के साथ ही इस दिन कई प्राचीन परंपराएं भी निभाई जाती हैं, जिनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है.

पंडितों के अनुसार दशहरे पर पान खिलाना आपसी रिश्तों में मधुरता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. घर आए मेहमानों और प्रियजनों को पान खिलाने की परंपरा उत्तर भारत से लेकर गुजरात, महाराष्ट्र तक देखने को मिलती है. पान को मंगलकारी और देवी-देवताओं का प्रिय माना जाता है, इसलिए इसे प्रसाद की तरह बांटने से घर में सुख-समृद्धि आती है.

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Dussehra 2025 Traditions
Dussehra 2025 Traditions

इसी तरह दशहरे पर सोना पत्ती एक-दूसरे को देने की प्रथा भी प्रचलित है. इसे “सोना पट्टी” देना कहते हैं. शास्त्रों के अनुसार सोना लक्ष्मी का प्रतीक है और दशहरे के दिन इसका आदान-प्रदान करने से आर्थिक उन्नति के द्वार खुलते हैं. कई जगह लोग छोटे-छोटे सोने के टुकड़े या सोने जैसे दिखने वाले पत्ते उपहार में देते हैं. यह परंपरा विशेष रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में व्यापक रूप से देखी जाती है.

Dussehra 2025 Traditions. दशहरे का एक और अहम हिस्सा है शमी वृक्ष की पूजा. मान्यता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के समय अपने हथियार शमी वृक्ष में छिपाए थे और विजयादशमी पर उन्हें वापस प्राप्त कर युद्ध में विजय पाई थी. इसी कारण शमी वृक्ष की पूजा कर उसके पत्तों को एक-दूसरे को भेंट करने की परंपरा चली आ रही है. इसे ‘स्वर्णपत्र’ भी कहा जाता है. यह कार्य समृद्धि, सौभाग्य और रिश्तों में मजबूती लाने वाला माना जाता है.

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