बीजापुर। छत्तीसगढ़ में नक्सल संगठन को एक बड़ा झटका लगा है। छत्तीसगढ़ के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा माओवादी आत्मसमर्पण हुआ है। बीजापुर जिले में आज 103 नक्सलियों ने हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला लिया है। इन सभी पर कुल 1 करोड़ 6 लाख 30 हजार रुपये की इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने वाले सभी माओवादियों को प्रोत्साहन स्वरूप 50-50 हजार रुपये का चेक प्रदान किया गया।


सरेंडर करने वालों में कई बड़े नक्सली नेता शामिल
इस बड़े आत्मसमर्पण में संगठन के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं, जिसमें डीव्हीसीएम-01, पीपीसीएम-04, एसीएम-04, प्लाटून पार्टी सदस्य-01, डीएकेएमएस अध्यक्ष-03, सीएनएम अध्यक्ष-04, केएएमएस अध्यक्ष-02, एरिया कमेटी पार्टी सदस्य-05, मिलिशिया कमांडर/डिप्टी कमांडर-05, जनताना सरकार अध्यक्ष-04, पीएलजीए सदस्य-01, सीएनएम सदस्य-12, जनताना सरकार उपाध्यक्ष-04, डीएकेएमएस उपाध्यक्ष-01, जनताना सरकार सदस्य-22, मिलिशिया प्लाटून सदस्य-23, जीपीसी-02, डीएकेएमएस सदस्य-04 और भूमकाल मिलिशिया सदस्य-01 है। कुल 106.30 लाख रुपये के इनाम वाले 49 माओवादी समेत कुल 103 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया।
इस साल अब तक 410 माओवादियों ने डाला हथियार
01 जनवरी 2025 से अब तक माओवादी घटनाओं में शामिल 421 माओवादी गिरफ्तार हुए, 410 माओवादी ने आत्मसमर्पण किया एवं जिले में अलग-अलग मुठभेड़ों में कुल 137 माओवादी मारे गए हैं। इस प्रकार 01 जनवरी 2024 से अब तक माओवादी घटनाओं में शामिल 924 माओवादी गिरफ्तार हुए, 599 माओवादी ने आत्मसमर्पण किया एवं जिले में अलग-अलग मुठभेड़ों में कुल 195 माओवादी मारे गए हैं।
आत्मसमर्पण के प्रमुख कारण
बीजापुर सहित अन्य नक्सल प्रभावित जिलों में माओवादियों के आत्मसमर्पण के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण सामने आए हैं –
- विकास कार्यों की तीव्र गति: सुदूरवर्ती क्षेत्रों में सड़क निर्माण, बिजली, स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं की पहुंच ने माओवादियों को गहराई से प्रभावित किया है।
- संगठन से मोहभंग: अपेक्षित परिवर्तन न आने, आंतरिक कलह, मतभेद और विश्वास की कमी ने माओवादियों को आत्ममंथन के लिए बाध्य किया।
- संगठन के शीर्ष नेतृत्वकर्ता माओवादी के संगठन छोड़कर समर्पण करने एवं मुठभेड़ में शीर्ष नेताओं के लगातार मारे जाने से मुख्यधारा में लौटने का किया फैसला।
- अनिश्चित भविष्य की चिंता: संगठन के भीतर शोषण और क्रूर व्यवहार से त्रस्त होकर कई माओवादी समाज की मुख्यधारा में लौटने को तैयार हुए हैं।
- सुरक्षा बलों की सक्रियता: आत्मसमर्पण करने मे डीआरजी, बस्तर फाइटर, एसटीएफ, केरिपु 22, केरिपु 85, केरिपु 168, केरिपु 199, केरिपु 222, और कोबरा 201, 202, 206, 210 का विशेष योगदान रहा है।
पुनर्वास नीति की विशेषताएं
छत्तीसगढ़ शासन की नवीन पुनर्वास नीति ने माओवादियों को एक नई आशा दी है :
- आत्मसमर्पण करने वालों को ₹50,000 रूपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।
- पुनर्वास के तहत रोजगार, शिक्षा और सामाजिक पुनर्स्थापन की व्यवस्था की जाती है।
- आत्मसमर्पित माओवादियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का अवसर मिलता है।
मुख्यधारा में लौटने SP की अपील
बीजापुर पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने माओवादियों से अपील की है कि वे शासन की पुनर्वास नीति का लाभ उठाएं और शांतिपूर्ण एवं सम्मानजनक जीवन की ओर अग्रसर हों। उन्होंने कहा कि “सरकार की पुनर्वास नीति माओवादियों को आकर्षित कर रही है। आत्मसमर्पण करने वालों के परिजन भी चाहते हैं कि वे सामान्य जीवन जिये और समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें।” उन्होंने माओवादियों से आग्रह किया कि वे भ्रामक विचारधाराओं को त्यागें और निर्भय होकर समाज की मुख्यधारा में लौटें।
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