आशुतोष तिवारी, जगदलपुर. छत्तीसगढ़ के बस्तर में 26 अगस्त को आई भीषण बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया था। चारों तरफ तबाही का मंजर रहा। कई घर जमींदोज हो गए, सड़कें बह गईं, पुल-पुलिया टूट गए, कई लोग बेघर हो गए। इस आपदा को 40 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन बस्तर का दर्द अब भी कायम है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन ने अब तक टूटी सड़कों और पुल-पुलियों की मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया। यही वजह है कि परेशान होकर ग्रामीणों ने आज खुद श्रमदान कर सड़क बनाने का निर्णय लिया और काम में जुटे।

दो ग्राम पंचायत सालेपाल और बारूपाटा के सैकड़ों लोग सुबह 6 बजे से ही रापा, तगाड़ी, गैती और ट्रैक्टर लेकर सड़क निर्माण में जुटे रहे। महिलाएं खाना बनाने की सामग्री लेकर पहुंचीं, ताकि श्रमदान करने वालों को वहीं भोजन कराया जा सके। ग्रामीणों ने संकल्प लिया है कि सड़क पूरा बनाकर ही घर लौटेंगे। सड़क निर्माण में करीब 5 ट्रैक्टर लगातार काम पर लगे हैं और बच्चे-बुजुर्ग सभी इस अभियान का हिस्सा बने हैं। पंचायत के लगभग हर घर से लोग श्रमदान में शामिल हैं।

एक किमी का रास्ता 12 किमी घूमकर तय कर रहे ग्रामीण

इस रास्ते की दुर्दशा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां सड़क टूटने से 1 किलोमीटर का रास्ता अब 12 किलोमीटर घूमकर तय करना पड़ रहा है। राशन-पानी जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए भी लोगों को यही लंबा सफर तय करना पड़ रहा है। इसी मार्ग पर एक युवक की मौत भी हो चुकी है। प्रशासन से बार-बार मांग के बावजूद जब कोई सुनवाई नहीं हुई तब ग्रामीणों ने यह फैसला लिया कि खुद ही सड़क बनाकर राहत हासिल करेंगे।

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