लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर ने राजनीतिक दलों के नेताओं को पत्र लिखा है। ओपी राजभर ने पत्र के माध्यम से सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि रोहिणी आयोग रिपोर्ट पर अपनी राय स्पष्ट करें। आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों और विभिन्न विभागों में होने वाली भर्तियों में नियुक्तियां इसी रिपोर्ट के आधार पर की जाएं। उन्होंने कहा कि आरक्षण के उक्त उपवर्गीकरण को लागू करते हुए उसके आधार पर ही आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराया जाना आवश्यक व न्यायसंगत होगा।
सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने की मांग
ओपी राजभर ने अपने पत्र में लिखा कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2001 में हुकुम सिंह की अध्यक्षता में “सामाजिक न्याय समिति” का गठन इस आशय से किया गया था कि उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को मिल रहे 27% आरक्षण में बँटवारा कर पिछड़े वर्ग के वंचित शेष सभी जातियों को भी आरक्षण का लाभ दिया जाए। उक्त समिति ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया था, इसके पश्चात् ही तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार का कार्यकाल समाप्त हो गया, जिससे उक्त समिति की रिपोर्ट प्रदेश में लागू नहीं हो सकी।
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अन्य पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सका
ओपी राजभर ने लिखा कि उत्तर प्रदेश सरकार के उपरोक्त कार्यकाल के पश्चात् बहुजन समाज पार्टी व समाजवादी पार्टी की सरकार वर्ष 2017 के पूर्व तक उत्तर प्रदेश में रही सरकारों द्वारा न ही 27% आरक्षण में बँटवारा किया गया और न ही “सामाजिक न्याय समिति” की उपरोक्त रिपोर्ट लागू की गयी, जिससे पिछड़े वर्ग की कुछ जातियाँ ही आरक्षण का अधिकांश लाभ लेती रहीं और शेष अन्य पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सका और वे इससे वंचित रह गयी।
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वर्ष 2017 में पुनः भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा न्यायमूर्ति राघवेन्द्र सिंह (से०नि०) की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय “सामाजिक न्याय समिति” का गठन पुनः उपरोक्त आशय से किया गया। इस समिति ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में यह सुझाव दिया है कि पिछड़ा वर्ग को दिये जाने वाले 27% आरक्षण को तीन भागों में बाँटकर इसका लाभ पिछड़ा वर्ग को 7%, अतिपिछड़ा वर्ग को 9%, और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को 11% आरक्षण का लाभ दिया जाए और इसे लागू किये जाने हेतु अपनी संस्तुति सहित रिपोर्ट सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया है।
रोहिणी आयोग रिपोर्ट पर अपनी राय स्पष्ट करें
अन्य पिछड़ा वर्ग को मिल रहे 27 प्रतिशत आरक्षण को 07 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग, 09 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग तथा 11 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग में बॉटकर आरक्षण का लाभ दिये जाने की बात विपक्षी पार्टियों द्वारा खुले मंच से क्यों नहीं उठायी जा रही रही है, सोचनीय है। जब कि इसी तरह भारत सरकार द्वारा “रोहिणी आयोग” का गठन हुआ और इसकी रिपोर्ट भी सरकार को प्राप्त हो चुकी है।
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पिछड़ों को मिल रहे आरक्षण पर मत स्पष्ट करें
ओपी राजभर ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविद के नेतृत्व में गठित समिति की रिपोर्ट में इसे लागू करने की बात कही गयी है। इन दोनों समितियों की रिपोर्ट / संस्तुति लागू करने के लिए उत्तर प्रदेश तथा देश की राजनीति करने वाले विपक्षी दल के नेता माननीय सदन में क्यों नहीं उठाते हैं? इसका क्या कारण है? आजादी के बाद से जो जातियाँ पिछड़ी हुई हैं क्या उन्हें और पीछे करना चाहते हैं?
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वंचित पिछड़े वर्ग को भी आरक्षण का लाभ मिले
यदि ऐसा नहीं है तो 27% आरक्षण को तीन भागों में बाँटकर इसका लाभ पिछड़ा वर्ग को 7%, अतिपिछड़ा वर्ग को 9%, और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को 11% आरक्षण लागू करने के लिए एकबार भी आवाज अभी तक समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल सहित किसी अन्य पार्टी ने सदन से लेकर सड़क तक नहीं उठायी है। ओपी राजभर ने अनुरोध किया कि उपरोक्त दोनों रिपोर्टों अपनी-अपनी राय / विचार स्पष्ट करने का कष्ट करें। “सामाजिक न्याय समिति” की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश में अतिशीघ्र लागू हो सके और वंचित पिछड़े वर्ग को भी आरक्षण का वास्तविक लाभ मिल सके और उनका भी समुचित प्रतिनिधित्व हो सके।
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