रेणु अग्रवाल, धार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरआरएस) के शताब्दी वर्ष पर धार में विशाल पथ संचलन होगा। जिले में संघ की जड़े बहुत गहरी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय यज्ञ में धार का भी योगदान रहा है। संघ का कार्य सबसे पहले धार से ही प्रारंभ हुआ। धार नगर में संघ का प्रादुर्भाव 1936 में हुआ। राजा भोज की नगरी को धार नाम से पहचाना जाता हैं। इसका मूल नाम धारा नगरी रहा है ।
ये थे प्रारंभिक शाखा के स्वयंसेवक
दरअसल मुंबई से मधुकर आगरकर धार नगर अपने मामा के आए थे। यहां पर उन्होंने वसंत रायते के साथ मिलकर चिटनिस चौक में शाखा प्रारंभ की। धार नगर की प्रारंभिक शाखा के स्वयंसेवकों में मनोहर निगम, हरि भाऊ वाकणकर, नारायण राव पुराणिक, अरविंद धारकर बसंत रायते, अमल कुमार बसु, कुशाभाऊ ठाकरे, शांताराम येवती कर, बालू भैया, श्याम राव पुराणिक, जनार्दन छाया और शशिकांत छाया शामिल थे। 1945 में धार नगर की आबादी 25000 के आसपास थी।
1952 एवं 1964 में गुरु जी का धार आगमन
पूरा नगर संघमय हो गया था। नगर में 1945 में लगभग 20 शाखाएं लगती थी। धार में प्रथम अधिकारी प्रवास सर संघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर गुरुजी प्रथम बार 1944 में आए थे। गुरु जी का बौद्धिक धारवासियों को सुनने का अवसर मिला था। इसके बाद 1952 एवं 1964 में गुरु जी का धार आगमन हुआ। 31 जनवरी 1985 को कुक्षी में संघ चालक बाला साहब देवराव जी का आगमन हुआ जहां पर हजारों आदिवासियों के द्वारा परंपरागत तरीके से वेशभूषा तीर कमान के साथ कुक्षी के मार्गों से संचलन निकाला था।
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नारायण शर्मा और यशवंत बरसे ने शाखा स्थापित की
धार्मिक संघ का शिक्षा वर्ग करने सबसे पहले स्वयंसेवक अमल कुमार बसु और अरविंद धरकर दोनों ने सन 1936 में संघ शिक्षा वर्ग किया था। सन 1941 में सरदारपुर में नौकरी के निमित्त बाहर से आए कर्मचारियों ने स्वयंसेवकों की शाखा प्रारंभ की। धार नगर में संघ की 20 शाखाएं लगा करती थी इनमें सभी शाखाओ में 100 से अधिक उपस्थित हुआ करती थी। धार जिले के बकानेर में 1936 में नारायण शर्मा और यशवंत बरसे ने शाखा स्थापित की थी लोगों में संघ का काम करने की धुन सवार थी।
आपातकाल में धार का संघ कार्यालय सील
आपातकाल के अंतर्गत धार जिले के 50 कार्यकर्ता मीसा के अंतर्गत तथा 250 राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत पकड़े गए थे। आपातकाल में धार का संघ कार्यालय सील हुआ था। संघ आज अपना 100 वा वर्ष मना रहा है और विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन के रूप में स्थापित है।

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