पटना। बिहार की राजनीति में चुनावी वर्ष आते ही रिश्तों और समीकरणों के रंग बदलते दिख रहे हैं। कभी राजनीतिक और पारिवारिक मतभेदों के चलते एक-दूसरे से दूरी बना चुके चिराग पासवान और उनके चाचा, पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस अब नए अंदाज़ में सुर्खियों में हैं। हाजीपुर में आयोजित एक श्राद्ध कार्यक्रम में मीडिया से बातचीत करते हुए पशुपति पारस ने चिराग पासवान को लेकर ऐसा बयान दिया, जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। पारस ने कहा चिराग हमारे परिवार का लड़का है। अगर वह बिहार के मुख्यमंत्री बनते हैं, तो हमें बहुत खुशी होगी। लेकिन लोकतंत्र में जनता का फैसला ही सर्वोपरि है। हमारे एक मत से सब कुछ नहीं होगा।

विरोध से समर्थन तक का सफर

यह बयान ऐसे समय आया है जब लंबे समय तक दोनों नेताओं के बीच गहरी खटास की चर्चा रही। लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में विभाजन के बाद रिश्तों में खिंचाव साफ नजर आ रहा था। लेकिन अब पारिवारिक रिश्तों की गर्माहट राजनीति में भी दिख रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बयान के पीछे सिर्फ पारिवारिक भावना ही नहीं, बल्कि बदलते राजनीतिक हालात भी कारण हैं। NDA और महागठबंधन की रणनीतियों के बीच पारस और चिराग की यह सुलह एक नया सियासी संकेत देती है।

जनता का फैसला रहेगा अंतिम

पशुपति पारस ने साफ किया कि परिवार के तौर पर वह चिराग के साथ हैं, लेकिन मुख्यमंत्री बनने का रास्ता जनता की मर्जी से ही तय होगा। उनके इस बयान से संकेत मिलता है कि परिवार के बीच का दरार अब भरने लगी है और दोनों नेता आगे किसी साझा समझौते की ओर बढ़ सकते हैं।

चुनावी साल में नई चर्चा

चिराग पासवान के लिए यह बयान न सिर्फ पारिवारिक बल्कि राजनीतिक समर्थन भी है। इससे बिहार की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। चुनावी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि क्या यह महज़ भावनात्मक बयान है या फिर रणनीतिक गठजोड़ की शुरुआत। किसी भी तरह इस बदलते रिश्ते ने बिहार चुनावी वर्ष में एक नई कहानी जोड़ दी है जहां विरोधी रहे चाचा अब भतीजे को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने का आशीर्वाद देते नजर आ रहे हैं।