राजधानी में जमीन या घर खरीदना अब और महंगा होने वाला है। दिल्ली सरकार ने सर्किल रेट में संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार ने स्थानीय जमीन की कीमतों और मौजूदा सर्किल रेट में अंतर को देखते हुए यह कदम उठाया है। संशोधन का उद्देश्य संपत्ति के लेन-देन में पारदर्शिता बढ़ाना और बाजार के अनुसार दरों को अपडेट करना है।
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दिल्ली सरकार ने सर्किल रेट में संशोधन की प्रक्रिया के तहत सार्वजनिक नोटिस जारी किया है। नोटिस राजस्व सचिव और संभागीय आयुक्त की ओर से जारी किया गया है। इसके जरिए लोगों से राय और सुझाव मांगे गए हैं। नोटिस में बताया गया है कि सरकार राजधानी में विभिन्न श्रेणियों की संपत्तियों के लिए सर्किल रेट में बदलाव करने की प्रक्रिया में है। यह कदम संपत्ति लेन-देन में पारदर्शिता बढ़ाने और बाजार दरों के अनुसार सर्किल रेट को समायोजित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

दिल्ली में सर्किल रेट में संशोधन की प्रक्रिया शुरू
सर्किल रेट में संशोधन का उद्देश्य मौजूदा बाजार स्थितियों के अनुसार दरों को समायोजित करना और संपत्ति के लेन-देन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। इसके लिए राजधानी को आठ श्रेणियों (ग्रेड A से H) में विभाजित किया गया है। ग्रेड A में दिल्ली के सबसे पॉश इलाके शामिल हैं, जबकि ग्रेड H में गांव और कम विकसित इलाके रखे गए हैं। इस वर्गीकरण से संपत्तियों की सही मूल्य निर्धारण और लेन-देन में स्पष्टता सुनिश्चित की जाएगी।
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राजधानी में कृषि भूमि और कॉलोनियों के सर्किल रेट वर्षों से बढ़ाए नहीं गए हैं। दिल्ली में कृषि भूमि का सर्किल रेट 2008 के बाद से और कॉलोनियों का सर्किल रेट 2014 के बाद से अपरिवर्तित है। पिछली सरकार ने 2023 में सर्किल रेट में बदलाव की प्रक्रिया शुरू की थी और प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेजा गया था, लेकिन तब मंजूरी नहीं मिल पाई। अब वर्तमान सरकार ने इस दिशा में फिर से कदम उठाते हुए सर्किल रेट संशोधन की प्रक्रिया शुरू की है।
दिल्ली में सर्किल रेट बढ़ने से सीधे तौर पर प्रॉपर्टी खरीदने वालों पर असर पड़ेगा। रजिस्ट्रेशन शुल्क और स्टाम्प ड्यूटी सर्किल रेट के आधार पर तय होती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी इलाके का सर्किल रेट 1 लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर है और बाजार मूल्य भी लगभग उसी के आसपास है, तो खरीदार को उसी हिसाब से पंजीकरण कराना होगा। प्रॉपर्टी विक्रेताओं को फायदा हो सकता है क्योंकि उनकी संपत्ति का आधिकारिक मूल्य बढ़ जाएगा। हालांकि, बढ़ते सर्किल रेट के कारण प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री थोड़ी धीमी पड़ सकती है।
सर्किल रेट किसी भी इलाके में संपत्ति की खरीद और बिक्री के लिए तय की गई न्यूनतम दर होती है। यह वह दर है, जिससे कम कीमत पर संपत्ति को रजिस्टर्ड नहीं कराया जा सकता। सर्किल रेट हमेशा सरकार द्वारा तय किए जाते हैं। इससे संपत्ति के लेन-देन में पारदर्शिता आती है और सरकारी राजस्व में भी वृद्धि होती है।
सर्किल रेट पर लोगों से मांगे सुझाव
दिल्ली सरकार ने सर्कुलर जारी कर सभी रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, उद्योग संगठन, संपत्ति मालिकों और आम लोगों से सर्किल रेट में संशोधन के लिए सुझाव मांगे हैं। सुझाव देने के लिए विभाग ने ईमेल आईडी [email protected] जारी की है। लोग 15 दिनों के भीतर अपने सुझाव और आपत्तियां इस ईमेल पर भेज सकते हैं। एक अधिकारी ने बताया कि सुझाव मिलने के बाद सरकार प्रस्तावित संशोधित सर्किल दरें पेश करेगी और उम्मीद है कि कुछ महीनों में पूरी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
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आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, राजधानी में आखिरी बार 2014 में सर्किल रेट में बड़े बदलाव किए गए थे। इससे पहले ये दरें 2008 में तय की गई थीं। तब से अब तक प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू कई गुना बढ़ चुकी है, जबकि सर्किल रेट में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ। यही कारण है कि दिल्ली सरकार अब मौजूदा बाजार स्थिति के अनुसार सर्किल रेट में संशोधन करने जा रही है। इस कदम से संपत्ति लेन-देन में समान्य और पारदर्शी मूल्य निर्धारण सुनिश्चित होगा।
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