अभय मिश्रा, मऊगंज। मध्यप्रदेश के मऊगंज जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जो पुलिस की ईमानदारी, डॉक्टर की नैतिकता और वकील की मर्यादा इन तीनों पर एक साथ सवाल खड़े करता है। यह कहानी है फर्जी मुकदमों की उस फैक्ट्री की, जहां मेडिकल रिपोर्ट से लेकर FIR तक सब कुछ पहले से तय स्क्रिप्ट के मुताबिक लिखा जाता है। जहां डॉक्टर फर्जी एमएलसी बनाता है, वकील पिता केस लड़ता है और पुलिस बिना जांच किए निर्दोषों को अपराधी घोषित कर देती है!
मामला है 4 मई 2025 का…जब मऊगंज के गिरधर गोपाल चौबे के पिता पर उनके ही चाचा ने बेरहमी से हमला किया। पीड़ित पक्ष ने FIR दर्ज कराई, पुलिस ने हमलावर को गिरफ्तार भी किया, लेकिन 11 मई को जमानत मिलते ही धमकियों का दौर शुरू हो गया। परिवार ने परेशान होकर रायपुर एम्स में इलाज शुरू किया, लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। 3 अगस्त 2025 को उसी परिवार पर मऊगंज थाना में फर्जी FIR दर्ज करा दी गई!
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अब ज़रा सोचिए जिस वक्त गिरधर रायपुर एम्स में इलाज करा रहे थे और उनका भाई विपिन रायपुर के एक स्कूल में पढ़ा रहे थे। उसी समय मऊगंज पुलिस ने दोनों पर अपराध दर्ज कर दिया! सीसीटीवी फुटेज, अस्पताल की पर्चियां, स्कूल के उपस्थिति रजिस्टर, सब कुछ पुलिस को सौंपा जा चुका है। फिर भी पुलिस ने मोबाइल पर FIR की सूचना भेज दी! इस मामले में पुलिस अधीक्षक दिलीप सोनी ने बताया कि यह मामला संज्ञान में आया है। थाना प्रभारी को निष्पक्ष कार्रवाई के निर्देश दिए गए है। इस मामले में विवेचना जारी है, जो भी साक्ष्य आएंगे उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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