अहमदाबाद। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बैंकों, आरबीआई, बीमा कंपनियों, म्यूचुअल फंड, भविष्य निधि खातों और अन्य संस्थानों में पड़ी 1.84 लाख करोड़ रुपये की अघोषित वित्तीय संपत्तियों को उनके असली मालिकों को वापस करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया.

तीन महीने के इस कार्यक्रम का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना भी है. सीतारमण ने कहा, “ये अघोषित राशियाँ सरकारी संपत्ति नहीं हैं, बल्कि व्यक्तियों और परिवारों की हैं.” उन्होंने आगे कहा, “दशकों बीत गए हैं जब लोगों ने बैंकों, आरबीआई या निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण कोष (आईईपीएफ) से अघोषित धन वापस करने की आवश्यकता पर आवाज़ उठाई थी. यह उनका पैसा है.”

उन्होंने कहा कि ऐसी धनराशि अक्सर दस्तावेज़ों के अभाव, भूली हुई पॉलिसी या जागरूकता की कमी के कारण उत्पन्न होती है. उन्होंने कहा, “यह एक पके फल की तरह है जो पहुँच में तो है, लेकिन उन लोगों के हाथों में नहीं पड़ रहा है जिनके पास यह है.”

यह अभियान तीन स्तंभों पर आधारित है – जागरूकता, पहुँच और कार्रवाई. जागरूकता का अर्थ है लोगों को लावारिस धन के बारे में सूचित करना; आरबीआई के यूडीजीएएम पोर्टल के माध्यम से पहुंच; और कार्रवाई, जहां अधिकारी दावेदारों की मदद करने के लिए छोटे-छोटे संकेतों पर भी कार्रवाई करते हैं.