Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है. यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक तर्क भी छिपे हुए हैं. कल है शरद पूर्णिमा का पर्व. इस दिन लगभग सभी घरों में अनिवार्य रूप से खीर बनती ही है. आइए विस्तार से जानते हैं शरद पूर्णिमा की खीर से जुड़े धार्मिक और स्वास्थ्य संबंधी कारण.
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धार्मिक महत्व
पूर्ण चंद्रमा की पूजा: शरद पूर्णिमा को चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है क्योंकि यह दिन चंद्रमा के पूर्ण तेज और ओज का प्रतीक होता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं.
मां लक्ष्मी का आह्वान: इस दिन रात्रि जागरण और मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है. यह भी माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन रातभर जागरण करता है, उस पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है.
खीर का महत्व: शरद पूर्णिमा की रात को दूध और चावल से बनी खीर को चांदनी में रखने की परंपरा है. यह खीर अमृत के समान मानी जाती है और अगले दिन प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है.
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सेहत से जुड़े वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण (Sharad Purnima 2025)
चंद्रमा की किरणें और औषधीय प्रभाव: शरद पूर्णिमा की रात वातावरण सबसे अधिक शुद्ध होता है. चंद्रमा की किरणों में शीतलता और पोषक तत्व होते हैं, जो खीर में समाहित हो जाते हैं.
रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: चांदनी में रखी गई खीर को खाने से शरीर में इम्युनिटी बढ़ती है और पाचन क्रिया मजबूत होती है.
मानसिक शांति: चंद्रमा की ऊर्जा मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होती है. आयुर्वेद के अनुसार, यह ऊर्जा मानसिक संतुलन और शांति प्रदान करती है.
शरीर में ठंडक: खीर और चंद्रमा की शीतल ऊर्जा मिलकर शरीर की गर्मी को संतुलित करती है, जो शरद ऋतु की शुरुआत में आवश्यक होता है.
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शरद पूर्णिमा की खीर कैसे बनाएं और रखें? (Sharad Purnima 2025)
सामग्री: दूध, चावल, चीनी, इलायची, सूखे मेवे
विधि: खीर को अच्छे से पका लें. रात को चंद्रमा की रोशनी में एक साफ सफेद कपड़े से ढककर खुले आसमान के नीचे रखें. अगली सुबह खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और वितरित करें.
विशेष ध्यान देने योग्य बातें (Sharad Purnima 2025)
- खीर को ढकने के लिए जालीदार या महीन कपड़ा इस्तेमाल करें ताकि चंद्रमा की रोशनी आए लेकिन कीट-पतंगे न जाएं.
- यह क्रिया रात्रि 12 बजे से 2 बजे के बीच करनी चाहिए, जब चंद्रमा अपनी पूर्ण रोशनी देता है.