नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि आज के वैश्विक परिदृश्य में युद्ध और संघर्ष की प्रकृति बदल चुकी है और अब यह अक्सर ‘कॉन्टैक्टलेस वॉर’ के रूप में सामने आते हैं। उन्होंने यह टिप्पणी दिल्ली में चौथे कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए की, जिसका इस साल का थीम था ‘उथल-पुथल भरे समय में समृद्धि की तलाश’।
बता दें कि इस कॉन्क्लेव में 30 से ज्यादा देशों के लगभग 75 प्रतिनिधि शामिल हुए। अपने संबोधन के दौरान जयशंकर ने कहा कि वैश्विक स्तर पर जोखिम उठाने और जोखिम कम करने की गतिविधियां एक साथ हो रही हैं, जिससे नीति-निर्माताओं के सामने जटिल चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अजरबैजान-आर्मेनिया, यूक्रेन-रूस और इजराइल-ईरान जैसी लड़ाइयां अब अधिकतर कॉन्टैक्टलेस वॉर की शैली में लड़ी जा रही हैं, जिनमें स्टैंड ऑफ वेपंस का इस्तेमाल होता है। उनका कहना था कि इन युद्धों के परिणाम कभी-कभी निर्णायक और अत्यंत प्रभावशाली भी हो सकते हैं।
जयशंकर ने वैश्वीकरण और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे प्रभावों का जिक्र करते हुए कहा कि कई घटनाएं एक साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर डाल रही हैं, जिससे एक विरोधाभासी स्थिति बन गई है। एक ओर ये कारक जोखिम उठाने को बढ़ावा देते हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीति और अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में जोखिम कम करने के प्रयास भी जारी हैं।
ऑपरेशन सिंदूर बना कॉन्टैक्टलेस वॉर का उदाहरण
विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बयान ‘कॉन्टैक्टलेस वॉर’ के संदर्भ में खास मायने रखता है, खासकर हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद। इस अभियान में भारत ने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बिना प्रत्यक्ष टकराव के बेहद कम समय में अपना 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया था।
दरअसल, इस तरह के युद्धों में ड्रोन, मिसाइल और साइबर अटैक पारंपरिक सीमाओं को धुंधला कर देते हैं, जहां सैनिकों की सीधी भिड़ंत नहीं होती, बल्कि तकनीक के जरिए दुश्मन को मात दी जाती है। ऐसे में जयशंकर का यह बयान वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य और भारत की नई रणनीतिक सोच को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
विदेश मंत्री ने टैरिफ विवाद पर भी दिया बयान
विदेश मंत्री ने भारत-अमेरिका संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच अभी कुछ व्यापारिक मुद्दे सुलझ नहीं पाए हैं। इसी कारण कुछ टैरिफ लगाए गए हैं, जिन्हें भारत ने सार्वजनिक रूप से गलत ठहराया है। इसके अलावा, रूस से ऊर्जा खरीद को लेकर भी एक टैरिफ से जुड़ा विवाद चल रहा है। जयशंकर ने कहा कि इन सभी मुद्दों का समाधान जल्द किया जाएगा और इस दिशा में सक्रिय प्रयास किए जा रहे हैं।
जयशंकर ने कहा कि वैश्विक परिदृश्य में अब नीति-निर्माण और रणनीति तय करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है, लेकिन भारत लगातार अपने हितों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
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वित्त मंत्री ने किया था सम्मेलन का उद्घाटन
गौरतलब है कि 3 अक्टूबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन किया था। तीन दिवसीय इस आयोजन में एशिया के उदय, ब्रिक्स के भविष्य, वित्तीय स्थिरता और औद्योगिक नीति जैसे अहम विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई।
यह सम्मेलन इकोनॉमिक ग्रोथ इंस्टीट्यूट (IEG) द्वारा वित्त मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया गया था, जो वर्ष 2022 से लगातार इस मंच का संचालन कर रहा है।
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