जशपुर। जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) पत्थलगांव में कार्यरत डॉ. आशीष भगत के साथ आज एक मरीज द्वारा अमर्यादित और अभद्र व्यवहार किए जाने का मामला सामने आया है। आरोप है कि मरीज ने पहले डॉक्टर का नाम पूछा और इसके बाद उनकी जाति के बारे में आपत्तिजनक ढंग से पूछताछ की। इस दौरान पीड़ित डॉक्टर ने पूरी घटना का वीडियो अपने स्मार्टफोन में कैद कर लिया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

बता दें कि डॉक्टर आशीष भगत के साथ हुई इस घटना की शिकायत छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स एसोसिएशन ने जशपुर के जिला दंडाधिकारी को की है। डॉक्टर्स एसोसिएशन ने पत्र में जिला प्रशासन से अपील की है कि दोषी व्यक्ति के खिलाफ उचित प्रशासनिक एवं विधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
देखें VIDEO
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियों में देखा जा सकता है कि मरीज ने भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर के संबंध में आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग भी किया और डॉक्टर के प्रति अपमानजनक टिप्पणियां कीं।
डॉक्टर्स फेडरेशन के वाइस प्रेसिडेंट ने की घटना की निंदा
छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन के वाइस प्रेसिडेंट ने इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि एक सरकारी अस्पताल में सेवाएँ दे रहे डॉक्टर के साथ जाति पूछने और जातिगत टिप्पणी करने का मामला सामने आया है। ऐसी परिस्थितियों में कोई भी डॉक्टर पूरी निष्ठा और मनोबल के साथ अपनी ड्यूटी निभाना मुश्किल हो जाता है।
उन्होंने कहा कि डॉक्टर बनने के बावजूद यदि जातिवाद का यह प्रभाव समाप्त नहीं हो पा रहा है, तो इसे समाज से खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाना अति आवश्यक है। वाइस प्रेसिडेंट ने फेडरेशन के अध्यक्ष हीरा सिंग लोधी से अनुरोध किया है कि इस मामले पर तुरंत संज्ञान लेते हुए डॉक्टर का समर्थन करें और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक पत्र जारी करें।
देखें छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन द्वारा प्रशासन को लिखा पत्र

गौरतलब है कि चिकित्सक समाज में जीवन रक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के सबसे अहम स्तंभ माने जाते हैं। ऐसे में उनके साथ अभद्र व्यवहार करना न केवल व्यक्तिगत अपमान है, बल्कि पूरे चिकित्सा समुदाय और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए चिंता का विषय है।
इस घटना ने यह सवाल फिर से उठाया है कि भारत में शिक्षा और पेशेवर पदों तक पहुँच बनाने के बाद भी जातिगत भेदभाव की सोच कितनी जड़ित है। चिकित्सक समाज का कहना है कि इस तरह की घटनाएँ रोकने के लिए न केवल प्रशासनिक कार्रवाई, बल्कि सामाजिक जागरूकता और कठोर कानूनों की आवश्यकता है।
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