राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। हम दो हमारे दो और तीसरा बच्चा हुआ तो सरकारी सेवा से छुट्टी… मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरी के लिए तीसरे बच्चे की रोक की शर्त अब 24 साल बाद हटने जा रही है। सामान्य प्रशासन विभाग नियमों में बदलाव का प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जो जल्द ही कैबिनेट में लाया जा सकता है। शर्त हटने पर वर्तमान शासकीय सेवकों को तो राहत मिलेगी ही, साथ ही तीन संतान वाले दंपति भी सरकारी नौकरी के लिए पात्र हो सकेंगे।
परिवार नियोजन के लिए 26 जनवरी 2001 में मध्य प्रदेश में सरकारी सेवकों के लिए नियम लागू किया गया था। नियम ये था कि तीन संतान वाले महिला-पुरुष सरकारी सेवा के लिए अपात्र होंगे और सरकारी सेवा में रहते हुए तीसरी संतान हुई तो सरकारी नौकरी से छुट्टी कर दी जाएगी। तीसरी संतान की फेर में हजारों प्रकरण जांच की जद में हैं।
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ऐसे अब कर्मचारियों के लिए राहत की बात ये है कि सरकार तीसरी संतान की शर्त हटाने पर विचार कर रही है। यदि शर्त हटती है तो नौकरी कर रहे किसी अधिकारी या कर्मचारी का तीसरा बच्चा भी हुआ तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जाएगा। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि उच्च स्तर से मिले निर्देशों के बाद यह कवायद शुरू हुई है, जिसे जल्द ही अमलीजामा पहनाया जा सकता है।
तीसरी संतान से जुड़े केस का क्या होगा
शर्त समाप्त होने के बाद विभागीय जांच या न्यायालयों में लंबित तीसरी संतान से जुड़े सभी केस स्वतः समाप्त मान लिए जाएंगे। हालांकि जो सरकारी कर्मचारी तीसरी संतान के आधार पर नौकरी से बाहर किए जा चुके हैं, उनको कोई रियायत नहीं मिलेगी।
मोहन भागवत ने दिया था बयान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के पिछले महीने तीन संतान होने का बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि देश की जनसंख्या नीति 2.1 की औसत पर आधारित होनी चाहिए। यानी हर परिवार में औसतन तीन बच्चे होना चाहिए। माना जा रहा है इसी बयान के बाद नीति में बदलाव की प्रक्रिया तेज हुई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार मध्यप्रदेश की प्रजनन दर 2.9 है, जो राष्ट्रीय औसत 2.1 से अधिक है। शहरी क्षेत्रों में 2.1 और ग्रामीण क्षेत्रों में 2.8 के करीब है।
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अप्रैल में गई थी शिक्षिका की नौकरी
छतरपुर जिले में एक महिला टीचर की नौकरी तीसरे बच्चे के कारण चली गई। धमौरा गांव के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में तैनात माध्यमिक शिक्षक को तीसरे बच्चे के जन्म की जानकारी छिपाने के लिए अप्रैल 2025 में बर्खास्त कर दिया गया। इससे पहले जून 2023 में आगर मालवा जिले की शिक्षिका को तीसरे संतान के कारण नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। पूर्व में एक जज तक की नौकरी दो संतान की पाबंदी की वजह से जा चुकी है।
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