अभय मिश्रा, मऊगंज। मध्य प्रदेश के नवगठित मऊगंज जिले में प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्ट तंत्र की मिलीभगत का एक बड़ा उदाहरण सामने आया है। हर्रहा ग्राम पंचायत में इन दिनों खनन माफिया का आतंक चरम पर है। यहां अदयपुर स्टोन क्रेशर के नाम पर बिना अनुमति दो एकड़ से अधिक भूमि में अवैध उत्खनन किया जा रहा है। लेकिन इस अवैध खनन से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं गौड़ और आदिवासी समाज के गरीब परिवार, जिनकी जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया गया है। 100 फीट तक गहरी खाइयाँ खोद दी गई हैं, गांव के रास्ते तक बंद कर दिए गए हैं,और ब्लास्टिंग के दौरान उड़ते पत्थर घरों की छतों पर गिर रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि दो एकड़ अधिक जमीन में 100 फिट से अधिक गहरी खाई बिना अनुमति खोद दी गई है, लेकिन प्रशासन को अभी तक इसकी जानकारी भी नहीं है। 

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गांव के लोगों का कहना है कि वे अपने ही घरों में कैद होकर रह गए है। ब्लास्टिंग इतनी तीव्र होती है कि दीवारें हिल जाती हैं, छतें दरक जाती हैं,बच्चे रोने लगते हैं और बुजुर्ग खौफ में हैं। बरसते पानी में महिलाएं और वृद्ध न्याय की गुहार लेकर अवैध खदान के सामने बैठे रहे। लेकिन खनिज विभाग का एक भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। लोगों ने बताया कि “हम गरीब हैं, हमारी सुनवाई कोई नहीं करता।” जब लल्लूराम डॉट कॉम ने खनिज विभाग के निरीक्षक से बात की,तो उन्होंने खुद माना —खनन की कोई अनुमति नहीं दी गई है, और रॉयल्टी भी जमा नहीं की गई है। यानि यह पूरा उत्खनन पूरी तरह अवैध है। फिर भी खनिज विभाग आंखें मूंदे बैठा है।

मामला जब कलेक्टर संजय जैन तक पहुंचा, तो उन्होंने तत्काल खनिज निरीक्षक को कार्रवाई के निर्देश दिए —मशीन जब्त करें, पंचनामा बनाएं और रिपोर्ट पेश करें। लेकिन कलेक्टर का आदेश भी विभाग ने अनसुना कर दिया। पूरा दिन बीत गया, अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे। गांव वाले इंतजार करते रहे…लेकिन खनन मशीनें चलती रहीं और राजस्व की चोरी जारी रही। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अवैध खनन का यह खेल लंबे समय से चल रहा है। हर ट्रॉली में सरकार को मिलने वाली रॉयल्टी की चोरी की जा रही है। लेकिन न तो विभाग कार्रवाई करता है, और न ही कोई जांच आगे बढ़ती है।

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आदिवासियों ने बताया कि उन्होंने 50 से अधिक बार शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन अब तक न तो कोई कार्रवाई हुई, न ही कोई अधिकारी मौके पर जांच के लिए पहुंचा। लोगों का कहना है कि शायद माफिया के सामने प्रशासन ने घुटने टेक दिए हैं। हर्रहा पंचायत और आसपास के गांवों में हजारों गौड़ और आदिवासी परिवार डर के साये में दिन गुजार रहे हैं। घर दरक चुके हैं, खेत नष्ट हो गए हैं,और गांव की गलियाँ पत्थर की खदानों से भर गई हैं। बच्चों की स्कूल तक जाने की राह बंद है,और लोग अब आंदोलन की राह पर उतरने को मजबूर हो गए हैं।क्योंकि इस समय मऊगंज जिले में कानून सिर्फ गरीबों के लिए है? खनन माफिया के सामने प्रशासन ने अपनी ताकत खो दी है क्योंकि प्रशासनिक संरक्षण में राजस्व की यह खुली लूट चल रही है? हर्रहा पंचायत का यह मामला केवल अवैध खनन का नहीं, बल्कि प्रशासनिक विफलता, भ्रष्टाचार और गरीब गौड, आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार की गहरी कहानी है।अब देखना यह है कि कलेक्टर के आदेश जमीन पर उतरते हैं या फिर यह मामला भी कागजों में ही दबा रह जाता है। 

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