आज शरद पूर्णिमा है. इस महत्वपूर्ण तिथि पर लगभग पूरी रात भद्रा का साया रहेगा, जिससे शुभ और मांगलिक कार्यों के समय को लेकर श्रद्धालुओं में संशय है. ज्योतिषीय गणना के अनुसार, भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखने का विधान बताया जा रहा है.

भद्रा काल का समय और खीर रखने का मुहूर्त
शरद पूर्णिमा के दिन भद्रा का प्रारंभ दोपहर 12:23 बजे होगा और इसका समापन रात 10:53 बजे होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भद्राकाल में कोई भी मांगलिक कार्य, पूजा-पाठ या प्रसाद अर्पण शुभ नहीं माना जाता. इसलिए, खीर को चंद्रमा की अमृतमयी किरणों में रखने के लिए भद्रा की समाप्ति का इंतजार करना होगा.
अमृत वर्षा की रात
शरद पूर्णिमा का विशेष धार्मिक महत्व है. माना जाता है कि इस रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होते हैं और उनकी किरणों से अमृत बरसता है. इस विशेष रात में चंद्रमा की रोशनी में रखी गई खीर का सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी और सौभाग्यवर्धक माना जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष पूजा का विधान है, जिससे धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
पूजा विधि और आवश्यक सावधानियां
6 अक्टूबर की रात को मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु और चंद्रदेव की श्रद्धापूर्वक पूजा करें. भद्रा काल (दोपहर 12:23 बजे से रात 10:53 बजे तक) के दौरान मांगलिक कार्य या प्रसाद अर्पण करने से बचें. खीर बनाने के बाद, उसे रात 10:53 बजे के बाद ही खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की रोशनी में रखें. अगले दिन सुबह, खीर को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें. इस दिन सफेद वस्त्र धारण करना और दान करना भी अत्यंत शुभ माना गया है.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक