विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश की सियासत में सोशल इंजीनियरिंग के लिए जाने जानी वाली बसपा सुप्रीमो मायावती फिर से अपने खोए राज को वापस लाने की फिराक में है. ऐसे में बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती को लेकर पूरे उत्तरप्रदेश में बसपा संगठन की तैयारियां तेजी से चल रही है. हालांकि, साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी समय है. उसके बावजूद भाजपा समेत अन्य दल भी दलित महापुरुषों को लेकर सियासी यज्ञ शुरू कर दिए हैं.

इसे भी पढ़ें- साहब! पत्नी से बचाओ, रात में नागिन बनकर… जनता दरबार में युवक ने जिलाधिकारी से लगाई गुहार, जानिए अजीबो-गरीब मामला

बता दें कि भाजपा ने जहां एक तरफ वाल्मीकि जयंती पर छुट्टी का ऐलान किया है. तो वहीं समाजवादी पार्टी ने वाल्मीकि जयंती के आयोजन अपने कार्यालयों पर करने का आदेश जारी करते हुए दलित बस्तियों में संगोष्टी करने के लिए भी निर्देशित किया है. ऐसे में सभी दल अभी से अपने वोट बैंक को साधने की जुगत में जुट गए हैं.

इसे भी पढ़ें- जिंदगी की कीमत 100 रुपए! दादा ने 8 साल के पोते को सुलाई मौत की नींद, दरिंदगी की वारदात जानकर रह जाएंगे हैरान

दरअसल, उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटर्स के बाद सबसे बड़ी आबादी अगर कोई है तो वो है दलित वोटर्स, ये दोनों ऐसी जमात है जो एक मुश्त वोट करती है, इसीलिए मायावती से लेकर अखिलेश यादव और केंद्र सरकार समेत योगी आदित्यनाथ को दलितों को ध्यान में रखकर ही रणनीति सेट करनी पड़ रही है.