कई बार लोग कहते हैं कि आत्माएं या नकारात्मक ऊर्जा केवल मानसिक रूप से कमजोर लोगों को परेशान करती हैं, लेकिन क्या यह सच है? ज्योतिष के अनुसार, इसका संबंध केवल मानसिक कमजोरी से नहीं, बल्कि व्यक्ति की ग्रह स्थिति और ऊर्जा संतुलन से भी होता है. ज्योतिष आचार्य इसे ‘ऊर्जा विज्ञान’ के रूप में देखता है, जहां संतुलित मन और मजबूत चंद्र शक्ति से कोई भी व्यक्ति किसी भी नकारात्मक प्रभाव से सुरक्षित रह सकता है.

ग्रहों की दशा और मानसिक ऊर्जा का संबंध

ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा व्यक्ति की मानसिक स्थिरता और भावनात्मक स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है. यदि जन्मकुंडली में चंद्रमा कमजोर, पाप ग्रहों से पीड़ित या राहु-केतु के प्रभाव में हो, तो व्यक्ति में भय, भ्रम या अस्थिरता की प्रवृत्ति अधिक होती है. ऐसे में बाहरी नकारात्मक ऊर्जा या वातावरण का असर भी व्यक्ति पर जल्दी होता है.

आत्मा नहीं, ऊर्जा संतुलन का प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि ‘आत्मा’ शब्द को ऊर्जा के रूप में देखा जाना चाहिए. जब किसी व्यक्ति की आभामंडल (Aura) कमजोर होती है, तो वह आसपास की नकारात्मक तरंगों को आसानी से ग्रहण करता है. इसे आत्मिक प्रभाव नहीं बल्कि ऊर्जा असंतुलन कहा जा सकता है.

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कैसे बनाएं मानसिक और ज्योतिषीय संतुलन

ज्योतिषीय दृष्टि से, चंद्रमा और गुरु की शक्ति बढ़ाने वाले उपाय जैसे ध्यान, गायत्री मंत्र जाप, पूर्णिमा पर चंद्र दर्शन और हल्का भोजन करने की सलाह दी जाती है. मानसिक मजबूती के लिए योग, प्राणायाम और सकारात्मक सोच सबसे कारगर उपाय हैं.