रायपुर। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) कर्मचारियों ने स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात कर दिवाली से पहले वेतन वृद्धि और बोनस आदेश जारी करने की मांग दोहराई है। मुख्यमंत्री से पूर्व हुई बैठक के दौरान हड़ताल अवधि को शून्य घोषित करने और हड़ताल के दौरान बर्खास्त किए गए 25 कर्मचारियों की शीघ्र बहाली पर सहमति बनी थी। अब संघ ने सरकार से अपील की है कि इन सहमत बिंदुओं पर जल्द आदेश जारी किए जाएँ।

एनएचएम कर्मचारियों ने बताया कि लंबित 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि में से पहले ही घोषित 5 प्रतिशत वृद्धि और वार्षिक कार्यमूल्यांकन (Confidential Report) के आधार पर मिलने वाले 5 प्रतिशत बोनस का आदेश तत्काल जारी किया जाए। इसके अलावा हड़ताल के दौरान बर्खास्त किए गए 25 कर्मचारियों की पुनर्बहाली की भी मांग की गई है।

बता दें कि यह आंदोलन 18 अगस्त से 19 सितंबर 2025 तक लगभग 33 दिनों तक चला। कर्मचारियों की प्रमुख मांगें नियमितीकरण, संविलियन, ग्रेड पे निर्धारण और लंबित वेतन वृद्धि से जुड़ी थीं। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने कई बिंदुओं पर सहमति जताई थी, जिनमें शामिल हैं:

  • लंबित 27% वेतन वृद्धि में से 5% वृद्धि का शीघ्र आदेश जारी करना
  • सी.आर. प्रक्रिया (Confidential Report) में पारदर्शिता लाना
  • 30 दिन सवैतनिक चिकित्सा अवकाश (Medical Leave) प्रदान करना
  • ₹5 लाख तक की कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना

एनएचएम संघ ने सरकार से आग्रह किया है कि दिवाली से पहले इन सहमत मांगों पर आदेश जारी किए जाएँ, ताकि कर्मचारी आर्थिक रूप से राहत पा सकें और त्योहार को सम्मान एवं प्रसन्नता के साथ मना सकें।

संघ ने यह भी जानकारी दी कि ग्रेड पे निर्धारण, अनुकंपा नियुक्ति और नियमित भर्ती में आरक्षित सीटों को निर्धारित करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जो तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। नियमितीकरण और संविलियन से जुड़े विषय पर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए पत्र भेजा है।

एनएचएम कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी और प्रदेश प्रवक्ता पुरन दास ने संयुक्त बयान में कहा, “कर्मचारी अपने दायित्वों का पालन पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ कर रहे हैं। सरकार से अनुरोध है कि जिन मांगों पर सहमति बनी है, उन पर दिवाली से पहले आदेश जारी किए जाएँ ताकि एनएचएम परिवार इस पर्व को खुशहाली और सम्मान के साथ मना सके और किसी भी परिवार पर आर्थिक संकट न आए।”

इस तरह कर्मचारियों की मांगों का समाधान न केवल उनके हित में होगा बल्कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिरता और कर्मचारियों की संतुष्टि सुनिश्चित करने में भी मदद करेगा।

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