राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारतीय सशस्त्र बलों की सराहना कर कहा कि देश के सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान संयुक्त रूप से रणनीतिक दृष्टिकोण की ताकत का प्रदर्शन किया। इसके परिणामस्वरूप नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार आतंकी ढांचे को नष्ट किया गया।
राष्ट्रपति भवन में 65वें राष्ट्रीय रक्षा कालेज के पाठ्यक्रम के सदस्यों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए मंगलवार को मुर्मु ने ‘महाभारत’ का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सदियों पहले लिखा गया यह महान महाकाव्य हमारे प्रिय मूल्यों की अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा, ‘हर प्रयास युद्ध से बचने और एक सौहार्दपूर्ण समाधान पर पहुंचने के लिए किया गया। शांति के प्रयासों का नेतृत्व कृष्ण ने किया, जो हमारे लिए एक दिव्य व्यक्तित्व हैं।’
कृष्ण का दिया उदाहरण
उन्होंने कहा, ‘जब युद्ध अनिवार्य हो गया, तो कृष्ण ने सबसे महत्वपूर्ण योद्धाओं में से एक अर्जुन को सभी संदेहों को दूर करने और बहादुरी से लड़ने के लिए कहा। इस प्रकार युद्ध और शांति के प्रति समग्र भारतीय दृष्टिकोण, शांति और अहिंसा के मूल्यों को सर्वोच्च महत्व देता है। लेकिन यह भी प्रेरित करता है कि जब युद्ध अनिवार्य हो जाए, तो पूरी दृढ़ता से लड़ें।’
उन्होंने कहा कि बदलते भू-राजनीतिक माहौल और सुरक्षा संदर्भों के कारण गतिशील प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता है। भारत सशस्त्र बलों को एक तकनीकी रूप से उन्नत और बहु-क्षेत्रीय एकीकृत संचालन के लिए तैयार बल में बदलने में लगा हुआ है। हमारे सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान संयुक्त रूप से रणनीतिक दृष्टिकोण की ताकत का प्रदर्शन किया। संतुलित, त्रि-सेवा प्रतिक्रिया ने प्रभावी समन्वय का परिणाम दिया। मुर्मु ने कहा, ‘यह समन्वय नियंत्रण रेखा के पार और सीमा के भीतर आतंकी ढांचे को नष्ट करने के सफल अभियान के पीछे था।’ उल्लेखनीय है कि पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने सात मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था।
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