पटना। बिहार में बाढ़ का संकट इस बार अक्टूबर में भी थमने का नाम नहीं ले रहा। नेपाल और उत्तर भारत के कई हिस्सों में हो रही लगातार बारिश ने राज्य की नदियों के जलस्तर को खतरनाक स्तर तक पहुंचा दिया है। 15 साल बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब अक्टूबर के पहले ही सप्ताह में 21 नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
कोसी ने बनाया 57 साल का रिकॉर्ड
बिहार की ‘जीवनरेखा’ कही जाने वाली कोसी नदी ने इस बार 57 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जल संसाधन विभाग के अनुसार, 5 अक्टूबर को कोसी में 5.33 लाख क्यूसेक पानी दर्ज किया गया, जो 1968 के बाद दूसरा सबसे बड़ा जलस्तर है। उस वर्ष नदी का प्रवाह 7.88 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया था। इसी तरह बागमती नदी ने भी अपने सर्वाधिक जलस्तर को लगभग छू लिया है जिससे आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
कई जिलों में हालात गंभीर
नदियों के उफान का असर सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा, सुपौल, समस्तीपुर खगड़िया मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण और कटिहार जैसे जिलों में देखने को मिल रहा है। कई गांवों में पानी घरों तक पहुंच चुका है जिससे हजारों लोग सुरक्षित स्थानों पर शरण ले रहे हैं। प्रशासन की ओर से नाव सेवा राहत केंद्र और अस्थायी तटबंधों का निर्माण किया जा रहा है।
24 घंटे निगरानी और ड्रोन से मॉनिटरिंग
जल संसाधन विभाग ने सभी तटबंधों की सुरक्षा के लिए राउंड द क्लॉक पेट्रोलिंग के आदेश दिए हैं। अभियंता और तटबंध सुरक्षाकर्मी रात-दिन निगरानी में जुटे हैं। विभाग ने बताया कि नदियों की स्थिति पर ड्रोन और हाई-रिजॉल्यूशन कैमरों से निगरानी रखी जा रही है। जहां खतरा ज्यादा है वहां रेत की बोरियों और अस्थायी तटबंधों से सुरक्षा मजबूत की जा रही है।
सरकार ने बढ़ाई सतर्कता
राज्य के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि नदियों का अचानक बढ़ता जलस्तर हमारे लिए बड़ी चुनौती है। सरकार पूरी तरह सतर्क है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें प्रभावित जिलों में तैनात की गई हैं जबकि राहत शिविरों की संख्या बढ़ाई जा रही है ताकि विस्थापित लोगों को भोजन और आश्रय मिल सके।
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