हाल ही में लड़कियों के यौन शोषण के मामले में गिरफ्तार बाबा चैतन्यानंद को लेकर लगातार बड़े खुलासे सामने आ रहे हैं। जांच में पता चला है कि बाबा कभी सफेद पोश और कभी लाल चोला पहनने वाले रूप में सामने आते थे। पुलिस और जांच एजेंसियां अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही हैं, ताकि पता लगाया जा सके कि बाबा ने अपनी पहचान और पोशाक का इस्तेमाल किस तरह से पीड़ितों को प्रभावित करने और भ्रमित करने के लिए किया।
सूत्रों के मुताबिक, चैतन्यानंद लगभग 20 साल पहले सफेद रंग के कपड़े पहनकर साधु के वेश में रहता था। वह श्रंगेरी शारदा पीठ में आने के बाद भी कई साल तक सफेद कपड़े पहने रहा। लेकिन शारदा पीठ ज्वाइन करने के बाद उसने लाल चोला ओढ़ना शुरू किया। बाबा ने सफेद कपड़ों में भी कई अपराध किए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उसके अपराधों का तरीका और रणनीति वर्षों से लगातार बदलती रही। पुलिस अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है ताकि उसके सभी विभिन्न रूपों और गतिविधियों का खुलासा किया जा सके।
सूत्रों के मुताबिक, चैतन्यानंद ने उत्तराखंड के टिहरी में रामकृष्ण मिशन ज्वाइन किया था, और उस समय उसने सफेद चोला पहना। 2003 में उसने अपना नाम पार्थसारथी रुद्र से बदलकर डॉ. पार्थसारथी रख लिया। इसके लिए एफिडेविड की कॉपी भी उपलब्ध है। रामकृष्ण मिशन में रहते हुए उसने मिशन के अकाउंट में हेराफेरी की, जिसके कारण उसे वहां से निकाल दिया गया। इसके बावजूद बाबा ने बाद में विभिन्न रूपों और पोशाकों का इस्तेमाल करके अपराध करना जारी रखा।
2004 में बनवाया फर्जी एफिडेविट
साल 2004 में बाबा ने एक और एफिडेविड बनवाया, जिसमें भी उसने सफेद कपड़े पहने हुए थे। इस एफिडेविड में उसने दावा किया कि वह टिहरी के ओंकारानंद इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी में लेक्चरर है। इसमें उसने किसी राहुल खान नाम के शख्स को अपना चचेरा भाई बताया।
22 किताबें, 122 रिसर्च आर्टिकल लिखने का दावा
इतना ही नहीं, बाबा खुद को ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) का सदस्य बताता था और दावा करता था कि उसने 22 किताबें और 122 रिसर्च आर्टिकल लिखे हैं। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, बाबा के खिलाफ ओडिशा पुलिस ने 2014 में एक मामले में नोटिस जारी किया था।
फर्जीवाड़े के कारण रामकृष्ण मिशन ने निकाला
रामकृष्ण मिशन ने एक आधिकारिक पत्र में साफ किया है कि खुद को डॉ. स्वामी पार्थसारथी या पार्थसारथी रुद्र कहने वाला व्यक्ति उनके संगठन से कभी भी औपचारिक रूप से जुड़ा नहीं था। मिशन ने बताया कि यह व्यक्ति कुछ समय के लिए मिशन के एक आश्रम में काम जरूर करता था, लेकिन धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के कारण उसे बाहर कर दिया गया।
रामकृष्ण मिशन की तरफ से 5 सितंबर 2025 को श्रींगेरी शारदा पीठ को लिखे पत्र में पूरी जानकारी दी गई। मिशन ने बताया कि चैतन्यानंद को स्वामी गहानानंद जी से मंत्र दीक्षा जरूर मिली थी, लेकिन उसे कभी ब्रह्मचारी या संन्यासी के रूप में दीक्षित नहीं किया गया। यानी वह मिशन का अधिकृत संन्यासी या साधु नहीं था।
2001 में केरल के आश्रम से निकाला गया
सूत्रों के अनुसार, 2001 में चैतन्यानंद को केरल के कालडी आश्रम भेजा गया था। लेकिन कुछ ही समय बाद उस पर आश्रम के खातों में हेराफेरी और ई-मेल फर्जीवाड़े के आरोप लगे। इसके बाद मार्च 2002 में उसे मिशन से निकाल दिया गया। साल 2008 में मिशन को फिर एक शिकायत मिली। इस बार दिल्ली की एक छात्रा ने बताया कि स्वामी (डॉ.) पार्थसारथी नाम का व्यक्ति खुद को रामकृष्ण मिशन का संन्यासी बताकर दिल्ली के श्रींगेरी शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट का चेयरमैन बन बैठा है। इसके साथ ही वह दावा करता था कि उसने प्रधानमंत्री कार्यालय और नेशनल एडवाइजरी काउंसिल के साथ काम किया है।
जांच में पाया गया धोखेबाज
साल 2008 में, दिल्ली की एक छात्रा ने शिकायत दर्ज कराई कि स्वामी (डॉ.) पार्थसारथी नामक व्यक्ति खुद को रामकृष्ण मिशन का संन्यासी बताकर दिल्ली के श्रींगेरी शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट का चेयरमैन बन बैठा है। जांच करने पर पता चला कि वह पूरी तरह धोखेबाज है और रामकृष्ण विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन नाम का संगठन चलाता है। शिकायत में यह भी कहा गया कि जापानी दूतावास और ओडिशा सरकार ने उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है।
रामकृष्ण मिशन ने अपने जवाब में कहा कि चैतन्यानंद अब किसी भी रूप में मिशन से जुड़ा नहीं है। मिशन ने यह भी स्पष्ट किया कि उसे स्वामी गहानानंद जी से मंत्र दीक्षा जरूर मिली थी, लेकिन उसे कभी ब्रह्मचारी या संन्यासी के रूप में दीक्षित नहीं किया गया।
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
देश-विदेश की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक