दिल्ली सरकार ने शहर की हवा को ताज़ा करने और हरियाली बढ़ाने के लिए 17 नए जंगल विकसित करने की योजना तैयार की है। पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि इन 17 जंगलों में 15 ‘नमो वन’, 2 घने मियावाकी जंगल(Miyawaki Forest) शामिल हैं। मंत्री ने कहा कि ये जंगल न केवल दिल्लीवासियों को हरियाली और सुकून देंगे, बल्कि वायु प्रदूषण कम करने, तापमान नियंत्रण और शहर में प्राकृतिक वातावरण को बेहतर बनाने में भी मदद करेंगे।
जंगलों के स्थान और क्षेत्रफल:
दक्षिण दिल्ली: सतबारी और मैदानगढ़ी में दो जंगल, प्रत्येक 18.6 एकड़ में
उत्तर और उत्तर-पश्चिमी दिल्ली:
रोहिणी: सात जंगल (बरवाला, पहलादपुर बागर, पंसाली, महमूदपुरा माजरी आदि)
नरेला: तीन जंगल (सी-बी4 नरेला, मामूरपुर, जी7 और जी8)
अलीपुर: तीन जंगल, क्षेत्रफल क्रमशः 12, 12.2 और 28 एकड़
मंत्री ने बताया कि ये जंगल प्रदूषण कम करने, तापमान नियंत्रित करने और दिल्लीवासियों को हरियाली में सुकून देने में मदद करेंगे। योजना में मियावाकी तकनीक और पारंपरिक रोपण पद्धति का संयोजन किया जाएगा ताकि जंगल जल्दी घने और टिकाऊ हों।
कहां बनेंगे मियावाकी जंगल?
नजफगढ़ के खरखरी जटमल और जैनपुर में जापानी वैज्ञानिक अकिरा मियावाकी की तकनीक से जंगल विकसित किए जाएंगे। इसमें देशी पौधों को पास-पास लगाकर घना जंगल बनाया जाता है। इस तकनीक से जंगल सामान्य जंगलों से 30 गुना घने होते हैं और कुछ ही सालों में परिपक्व हो जाते हैं। खरखरी जटमल का मियावाकी जंगल सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत वर्षगांठ को समर्पित किया जाएगा।
कब शुरू होगा काम?
वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मिट्टी की जांच सहित सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। अगर मौसम ने साथ दिया, तो नवंबर से पौधरोपण शुरू किया जा सकता है, अन्यथा फरवरी में काम शुरू होगा। मियावाकी जंगल 6 से 8 महीनों में घना जंगल बन जाते हैं। ‘नमो वन’ को परिपक्व होने में 4 से 5 साल लग सकते हैं।
मियावाकी और नमो वन की विशेषताएं:
मियावाकी जंगल:
जापानी वैज्ञानिक अकिरा मियावाकी की तकनीक से विकसित
पौधों को पास-पास लगाकर घना जंगल तैयार
सामान्य जंगलों से 30 गुना घना और 6–8 महीनों में परिपक्व
प्रत्येक जंगल में कम से कम 10 प्रजातियों के पौधे लगेंगे ताकि जैव-विविधता बढ़े
खरखरी जटमल का मियावाकी जंगल गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत वर्षगांठ को समर्पित
नमो वन:
बड़े पेड़ों के बीच 3×3 मीटर का फासला
बीच में झाड़ियां और घास
परिपक्व होने में 4–5 साल का समय
रोपण की तैयारी और समयरेखा:
वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मिट्टी की जांच सहित सभी तैयारियां पूरी हैं।
मौसम अनुकूल होने पर नवंबर से पौधरोपण
अन्यथा फरवरी में काम शुरू
दिल्ली को हरा-भरा बनाने की मुहिम
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पिछले महीने ‘नमो वन’ योजना की घोषणा की थी, जिसके तहत बंजर जमीनों को हरे-भरे जंगलों में बदलने की योजना बनाई गई। इसके बाद कई बैठकों में विस्तृत रोडमैप तैयार किया गया, जिसमें 15 ‘नमो वन’ और 2 मियावाकी जंगल विकसित किए जाने हैं। दिल्ली के वन्यजीव शोधकर्ता फैयाज खुदसार ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि स्थानीय प्रजातियों का इस्तेमाल जरूरी है। उन्होंने बताया, “दक्षिण दिल्ली के अरावली क्षेत्र में अरावली की देशी प्रजातियां और यमुना के मैदानी इलाकों में वहां की देशी प्रजातियां लगानी होंगी। एक परिपक्व जंगल तैयार होने में सात साल तक लग सकते हैं।”
क्यों खास है यह योजना?
ये नए जंगल दिल्लीवासियों को प्रकृति के बीच सुकून भरे पल बिताने का अवसर देंगे। हरियाली, ताजगी और पर्यावरणीय लाभ के साथ ये जंगल शहर को स्वस्थ और हरा-भरा बनाएंगे।
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