सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और कई वित्तीय नियामक संस्थाओं से उस जनहित याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें सभी नागरिकों के बैंक खातों, बीमा, म्यूचुअल फंड, पीएफ आदि से जुड़ी एक्टिव, इनएक्टिव और अनक्लेम्ड रकम की जानकारी एक ही जगह उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीकृत पोर्टल बनाने की मांग की गई है.

जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने इस पर नोटिस जारी करते हुए केंद्र सरकार, उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), सेबी (SEBI), बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI), राष्ट्रीय बचत संस्थान, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और पेंशन फंड विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) को पक्षकार बनाया है .

पूरा मामला क्या है ?

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 3 नवंबर के लिए तय की है और तब तक सभी पक्षों से जवाब दाखिल करने को कहा है. यह याचिका आकाश गोयल ने दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि देशभर में करीब ₹3.5 लाख करोड़ रुपये की राशि विभिन्न वित्तीय संस्थानों में अनक्लेम्ड (बिना दावे की) पड़ी हुई है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि अलग-अलग नियामक संस्थाओं के बीच समन्वय की कमी और एकीकृत, केवाईसी-आधारित पोर्टल न होने से आम नागरिकों को अपने या अपने परिजनों के नाम पर जमा धन का पता लगाना बेहद कठिन हो गया है. याचिका में कहा गया है कि आरबीआई का ‘उदगम (UDGAM)’ पोर्टल, सेबी की नामांकन सुधार पहल जैसी कोशिशें सीमित दायरे में हैं और किसी एक साझा मंच पर सभी वित्तीय सूचनाएं उपलब्ध नहीं हैं.

उत्तराधिकार में मिले धन तक पहुंचा संवैधानिक अधिकार

इससे गरीब, वरिष्ठ नागरिक और डिजिटल साक्षरता की कमी वाले लोगों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि किसी व्यक्ति को उसके अपने या उत्तराधिकार में मिले धन तक न पहुंचा पाना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 21 (जीवन और गरिमा का अधिकार) तथा अनुच्छेद 300A (संपत्ति के अधिकार) का उल्लंघन है.

RTI से मिली अहम जानकारी

आरटीआई से मिली जानकारी के आधार पर याचिका में बताया गया है कि आरबीआई के Depositor Education and Awareness Fund में 2015 के ₹2,795 करोड़ से बढ़कर मार्च 2024 तक ₹78,213 करोड़ जमा हो गए हैं. इसी तरह, Investor Education and Protection Fund (IEPF) में ₹18,000 करोड़ से अधिक की राशि है, जबकि Senior Citizens’ Welfare Fund (SCWF) में 2016 से 2021 के बीच ₹7,000 करोड़ जमा हुए हैं.

याचिका में यह भी बताया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में करीब 29.8 करोड़ खातों में नोमिनी नहीं हैं, जिनमें ₹10 लाख करोड़ से अधिक की राशि जमा है. वहीं, PFRDA के मुताबिक दो लाख से ज्यादा पेंशन खातों में ₹30,610 करोड़ बिना नामांकन के पड़े हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले इस मुद्दे पर दायर याचिका को निपटाते हुए केंद्र को इसे प्रतिनिधित्व के रूप में लेने का निर्देश दिया था.

लेकिन याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे करोड़ों आम नागरिकों की रकम अब भी बैंकों, बीमा कंपनियों और म्यूचुअल फंड्स में फंसी हुई है.

आपकी जमा राशि पूरी तरह सुरक्षितः वित्त मंत्री

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा था कि बैंकों और नियामकों के पास 1.84 लाख करोड़ की राशि अनक्लेम्ड पड़ी है। उन्होंने आश्वस्त किया कि यह पैसा पूरी तरह सुरक्षित है और सरकार इसे सही मालिकों तक पहुंचाने के लिए लिए अभियान चला रही है।

आप बैंकों में जमा अपनी रकम का घर बैठे ऐसे पता लगा सकते हैं

आरबीआई ने 2023 में निष्क्रिय खातों में जमा राशि का पता लगाने के लिए उद्गम पोर्टल लॉन्च किया था, ताकि लोग आसानी से अपनी रकम का दावा कर सकें सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 8.5 लाख यूजर्स इस पोर्टल पर पंजीकरण कर चुके हैं। जानिए प्रक्रिया…

  • स्टेप 1: सबसे पहले udgam.rbi. org.in पर जाएं। होम पेज पर व्यक्तिगत टैब पर क्लिक करें।
  • स्टेप 2: खाताधारक का नाम, बैंक का नाम दर्ज करें, जहां अनक्लेम्ड राशि होने की संभावना है।
  • स्टेप 3ः सत्यापन के लिए, नीचे दिए गए विकल्पों में से कम से कम एक जानकारी भरेंः पैन कार्ड, वोटर आईटी, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट संख्या, जन्म तिथि
  • स्टेप 4: सभी जानकारी भरकर ‘Search’ बटन पर क्लिक करें। पोर्टल आपकी द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आपकी जमा राशि की खोज करेगा।
  • स्टेप 5: यदि मैच मिल जाता है, तो खाताधारक का नाम, बैंक का नाम, एक संदर्भ संख्या दिखेगी।
  • स्टेप 6: बैंक के नाम पर क्लिक करें। ये सीधे अनक्लेम्ड जमा दावा प्रक्रिया पेज पर ले जाएगा।
  • स्टेप 7: संबंधित शाखा में पहचान प्रमाण, संबंध प्रमाण जैसे आवश्यक दस्तावेज जमा करके अपनी राशि पर दावा शुरू करें।

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