चंडीगढ़. पंजाब सरकार बाढ़ से हुए ₹13,800 करोड़ से अधिक के नुकसान का नए सिरे से आकलन कर रही है। मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे ताकि केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजने के लिए एक मेमोरेंडम तैयार किया जा सके। 1987 के बाद की सबसे भयावह बाढ़ ने राज्य के 23 जिलों को प्रभावित किया है, जिसके लिए पंजाब को तत्काल सहायता की आवश्यकता है।

पंजाब सरकार अब बाढ़ के नुकसान की सीमा का आकलन करने के लिए मेमोरेंडम तैयार कर रही है। मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा आज के.आई.पी. सिंह और विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। अनुमान है कि नुकसान ₹13,800 करोड़ से अधिक का है, और इसे जल्द ही केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा। सिंचाई मंत्री वरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री स्वयं हेलीकॉप्टर से स्थिति का जायजा ले चुके हैं। उन्होंने बताया कि ₹1,600 करोड़ का मुद्दा लंबित है और केंद्र से तत्काल टोकन राशि भेजने की मांग की गई है।

1987 के बाद सबसे भयावह बाढ़

1987 के बाद पंजाब में पहली बार इतनी बड़ी बाढ़ आई है, जिसने राज्य के 23 जिलों में भारी तबाही मचाई है। सरकार का अनुमान है कि नुकसान ₹20,000 करोड़ से अधिक का है। स्कूल, कॉलेज और घर बह गए हैं, और लगभग 60 लोगों की मौत हो चुकी हैं। पंजाब सरकार ने दीवाली से शुरू होने वाले बाढ़ पीड़ितों के लिए मुआवजे की घोषणा भी की है।
प्रधानमंत्री ने 10 सितंबर को पंजाब का दौरा किया और बाढ़ प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उनके दौरे के दौरान ₹1,600 करोड़ की तत्काल राहत की घोषणा की गई, हालांकि उन्होंने कहा कि पंजाब के पास SDRF फंड में ₹13,000 करोड़ उपलब्ध हैं। इस बीच, केंद्र सरकार के खिलाफ पंजाब में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिससे राजनीति गरमा गईं है।

दिल्ली में गृह मंत्री से मुलाकात

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 30 सितंबर को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। यह मुलाकात करीब 25 मिनट तक चली। बैठक में उन्होंने पंजाब में हुए नुकसान पर चर्चा की और सहायता की मांग की। मुख्यमंत्री ने मीडिया को बताया कि गृह मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि पंजाब को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।