Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपनी बड़ी रणनीति तैयार कर ली है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इस बार अपने “A टू Z फॉर्मूले” को केवल नारे तक सीमित नहीं रखकर इसे जमीन पर उतारने की कोशिश में जुट गए हैं। पार्टी की रणनीति साफ है— पारंपरिक समर्थक वर्ग (पिछड़ा, अति पिछड़ा, अल्पसंख्यक और दलित) के साथ अब सवर्णों और विशेषकर भूमिहार व कुशवाहा समाज को भी जोड़ना है।
भूमिहार वोटरों पर बड़ा दांव
2020 में राजद ने केवल एक सीट पर भूमिहार उम्मीदवार उतारा था, लेकिन इस बार तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है। सूत्रों के मुताबिक, करीब 10 सीटों पर भूमिहार नेताओं को टिकट देने की तैयारी है। मोकामा, परबत्ता, मटिहानी, अस्थावां, लालगंज, लखीसराय, बिहपुर, गोविंदगंज, केसरिया और चनपटिया जैसी सीटों पर भूमिहार प्रत्याशी मैदान में उतर सकते हैं। हालांकि इनमें कुछ सीटों पर कांग्रेस और रालोजपा भी दावेदारी जता रही हैं।
डॉ. संजीव को राजद में शामिल करना
भूमिहार वोटरों को साधने की इस रणनीति में बड़ा चेहरा बने हैं डॉ. संजीव। परबत्ता से पिछली बार जदयू के टिकट पर जीतने वाले डॉ. संजीव हाल ही में राजद में शामिल हुए हैं। वे खगड़िया, बेगूसराय, भागलपुर और मुंगेर जिलों में भूमिहार मतदाताओं के बीच सक्रियता से काम कर रहे हैं। माना जा रहा है कि उनकी एंट्री से भूमिहार वर्ग के कई अन्य नेता भी राजद का रुख कर सकते हैं।
कुशवाहा वोटरों को जोड़ने की तैयारी
लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को कुशवाहा समाज का अच्छा समर्थन मिला था। अब तेजस्वी उसी समीकरण को दोहराने की रणनीति बना रहे हैं। राजद टिकट वितरण में लगभग एक दर्जन सीटें कुशवाहा नेताओं को देने की योजना बना रही है। उजियारपुर, सीतामढ़ी, कुर्था, चेरिया बरियारपुर, डिहरी, वारिसनगर, बिहारीगंज, कुढ़नी, नवादा, हथुआ, कटिहार और पालीगंज जैसी सीटों पर यह “कुशवाहा कार्ड” खेला जा सकता है। यह कदम सीधे तौर पर एनडीए के बड़े चेहरों उपेंद्र कुशवाहा और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को चुनौती देने की कोशिश है।
अति पिछड़ों और अगड़ी जातियों पर फोकस
राजद इस बार 30 से 35 टिकट अति पिछड़ा वर्ग (EBC) को देने जा रही है। यह पार्टी के इतिहास में सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है, क्योंकि अब तक इस वर्ग को इतनी बड़ी हिस्सेदारी नहीं दी गई थी। साथ ही, पहली बार राजद 12 से 18 सीटों पर अगड़ी जातियों (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और कायस्थ) के नेताओं को भी उम्मीदवार बना सकती है।
कई सिटिंग विधायकों का कट सकता है टिकट
सूत्रों का कहना है कि इस बार तेजस्वी यादव ने उम्मीदवार चयन में सख्ती दिखाई है। लगभग एक दर्जन मौजूदा विधायकों का टिकट कट सकता है, खासकर वे जिनका प्रदर्शन कमजोर रहा है या जो जनता के बीच अलोकप्रिय हो चुके हैं।
तेजस्वी यादव की यह नई रणनीति दिखाती है कि राजद अब केवल एम-वाई (यादव-मुस्लिम) समीकरण पर निर्भर नहीं रहना चाहती। पार्टी का मकसद है, हर तबके के मतदाताओं को जोड़कर “A टू Z” फार्मूले को वास्तविकता में बदलना। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह नई चाल बिहार की सत्ता की कुंजी राजद के हाथों में सौंप पाएगी।
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