रायपुर। दुर्ग रेलवे स्टेशन पर नारायणपुर जिले के तीन आदिवासी महिलाओं से मारपीट और छेड़छाड़ के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने सख्त कदम उठाया है. महिलाओं ने आरोप लगाया है कि बजरंग दल के तीन कार्यकर्ताओं ने उनके साथ मारपीट, गाली-गलौच और अश्लील हरकतें की. इसकी शिकायत के बाद भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की. इस मामले में महिला आयोग ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को आदेश दिया है कि 15 दिनों के भीतर तीनों महिलाओं की अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर रिपोर्ट आयोग को भेजी जाए. साथ ही डीआरएम और दुर्ग एसपी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई है.


छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने बुधवार को रायपुर स्थित आयोग कार्यालय में महिला उत्पीड़न से जुड़े कई प्रकरणों पर सुनवाई की. यह प्रदेश स्तर पर 348वीं और रायपुर जिले में 167वीं जनसुनवाई रही. आयोग ने दुर्ग रेलवे स्टेशन पर तीन आदिवासी महिलाओं से मारपीट और छेड़छाड़ के मामले में भी सुनवाई की. दरअसल, नारायणपुर जिले की तीन आदिवासी महिलाओं ने आयोग में शिकायत की थी कि दुर्ग रेलवे स्टेशन में बजरंग दल के तीन कार्यकर्ताओं ने उनके साथ मारपीट, गाली-गलौच और अश्लील हरकतें की. आरोपियों ने जातिसूचक अपशब्द भी कहे.
महिलाओं का कहना था कि शिकायत के बावजूद पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की. आयोग के सामने पेश हुई रिपोर्ट में सामने आया कि दुर्ग एसपी की ओर से लगातार लापरवाही बरती गई और आरोपियों को आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं कराया गया. वहीं जीआरपी थाने के नियंत्रण को लेकर रेलवे और राज्य पुलिस के बीच जिम्मेदारी टालने की प्रवृत्ति देखी गई. आयोग ने सीसीटीवी फुटेज भी मांगी थी, जिसमें केवल एक गेट की रिकॉर्डिंग दी गई. आयोग ने कहा कि उनसे साक्ष्य छिपाने की कोशिश की जा रही है. आयोग ने डीजीपी को विशेष पत्र लिखकर कहा है कि यदि 15 दिन में एफआईआर दर्ज नहीं होती तो आवेदिकाओं को पुलिस प्रशासन से मुआवजा दिलाने के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को मामला भेजा जाएगा.
भरण-पोषण प्रकरण : वृद्ध महिला को मिली राहत
एक अन्य प्रकरण में सुनवाई हुई. आवेदिका 67 वर्षीय वृध्द महिला है और बीमार रहती है अपने पुत्री के साथ 2 साल से रह रही है. आवेदिका का पति अनावेदक 70 वर्षीय वृध्द है और बैंक के रिटायर्ड कर्मचारी है, उन्हें 36 हजार रुपए मासिक पेंशन मिलता है. वर्तमान में वह अपने पुत्री के साथ निवास कर रहे हैं. आवेदिका को 2 साल से अपनी बेटी के घर छोड़ रखा है. बेटी अपनी मां (आवेदिका) का भरण-पोषण कर रही है. आवेदिका के पांव का ऑपरेशन तीसरी बार हुआ है और आवेदिका पूरी तरह से असहाय स्थिति में अपनी बेटी पर आश्रित है.
इस मामले में आयोग की समझाइश पर अनावेदक (पति) आवेदिका को प्रति माह 15 हजार रुपए भरण-पोषण देने के लिए तैयार हुआ. हर माह भरण-पोषण राशि नियमित रूप से आवेदिका के खाते में माह की 10 तारिख तक जमा करने की सहमति अनावेदक ने दी, जिससे आवेदिका अपना इलाज और भरण-पोषण कर सकेगी.

घरेलू विवाद का सुलझाया मामला
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक उससे गाली-गलौच करता है. दोनों पक्षों के मध्य पूर्व में न्यायालय में सुलह हो चुकी है, लेकिन अनावेदक द्वारा आवेदिका को फोन पर गाली-गलौच की जाती है. आयोग की समझाइश पर अनावेदक ने आवेदिका से माफी मांगी और भविष्य में किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न करने का आश्वासन दिया. आयोग ने कहा कि यदि अनावेदक दोबारा गाली-गलौच या मारपीट कर आवेदिका को परेशान करता है तो आवेदिका अनावेदक के विरूध्द एफआईआर दर्ज करा सकेगी. इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया.
बिना तलाक दिए दूसरी शादी का मामला सुलझा
अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक (पति) ने उसे बिना तलाक दिए अन्य महिला से दूसरा विवाह कर लिया है. अनावेदक ने बताया कि उसे आवेदिका ने 3-4 साल पहले से छोड़ रखा है. आवेदिका ने बताया कि न्यायालय में उभय पक्ष के मध्य भरण-पोषण का मामला लंबित है. इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया.
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