लखनऊ. बसपा की सरकार 2007 से 2012 तक थी. इसके बाद से लगभग 14 साल बीत गए और मायावती धीरे-धीरे राजनीति की मुख्यधारा से खिसक कर हाशिये पर चली गई, लेकिन उन्होने अपने अनूठे प्रयोग करने नहीं छोड़े. कभी अपनी धुर विरोधी पार्टी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर लोकसभा में चुनाव लड़ना तो कभी दूसरे राज्यो में रैली कर जनता को पार्टी से जोड़ना, लेकिन बसपा को फायदा नहीं मिल सका. अभी हाल ही में बहन मायावती ने अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था. हालांकि, उनके भतीजे आकाश आनंद और उनके ससुर को नियुक्ति के बाद से पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त बताते हुए निकाल दिया गया था. जबकि, कुछ महीनों के बाद मायावती के भतीजे आकाश आनंद की वापसी करवाई गई और उनको नेशनल कॉर्डिनेटर का महत्वपूर्ण पद देते हुए आकाश के कद को भी बढ़ाया गया.

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खास है आज का दिन

आज 9 अक्टूबर है और आज के दिन को बसपा के सनाथपक मान्यवर कांशीराम की जयंती के तौर पर मनाया जाता है. कांशीराम जबतक राजनीति में सक्रिय रहे तब तक उन्होंने बामसेफ और बसपा को पूरे राज्य में विस्तार करने के लिए कार्य किया. कांशीराम की ही देन रही कि पहली बार गठबंधन के सहारे ही सही बसपा सरकार में आई और बहन मायावती यूपी के सर्वोच्च शिखर पर बतौर सीएम बनकर स्थापित हुई. मायावती यूपी में 4 बार मुख्यमंत्री रह चुकी है, 2007 में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी थी.

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बसपा का शक्तिप्रदर्शन

मायावती के आह्वान पर कांशीराम स्मारक में 10 लाख से ज़्यादा भीड़ जुटने की उम्मीद है. ऐसे में पूरा महकमा तैयारियों में जुटा हुआ है. इसके अलावा बीवीएफ(बहुजन वॉलिंटियार फ़ोर्स) नाम की बहुजनों की एक फ़ोर्स भी कार्यक्रम स्थल पर अपना श्रमदान कर रही है.

सियासत में लौटने की उम्मीद

2017 से पहले भाजपा भी अपने बनवास काल मे नए नए प्रयोग कर रही थी, जिसका सफल परिणाम 2017 के चुनाव में दिखाई दिया और भाजपा यूपी की सत्ता में चरम पर स्थापित हुई. अब कुछ ऐसा ही बसपा की तरफ से किया जा रहा है. बहन मायावती इस जनसभा में अपना जनाधार और संख्याबल प्रदेश में उनके विरोधियों को दिखाना चाह रही हैं. हालांकि, उनके अनुयायियों को सम्बोधन में वो किस तरह की अपील या निर्देश देती हैं, इस पर बहुत कुछ निर्भर रहेगा.