सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू(Markandey Katju) ने हाल ही में हुई एक विवादित घटना के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई(B R Gawai) को जिम्मेदार ठहराया है। काटजू ने कहा कि न्यायाधीशों को अदालत में अधिक बात नहीं करनी चाहिए और प्रवचन देने से बचना चाहिए। यह बयान उस घटना के संदर्भ में आया है, जब 72 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने अदालत में ही सीजेआई गवई की तरफ जूता फेंकने की कोशिश की थी। किशोर का दावा था कि उन्होंने सीजेआई की कुछ टिप्पणियों से व्यक्तिगत रूप से आहत महसूस किया।
काटजू ने एक्स पर लिखा, “मैं सीजेआई पर जूते फेंके जाने की निंदा करता हूं, लेकिन उन्होंने खजुराहो में भगवान विष्णु की मूर्ति से जुड़ी याचिका की सुनवाई करते हुए खुद ही इस घटना को न्योता दिया था। उन्होंने कहा था, ‘आप कहते हैं कि आप विष्णु के बहुत बड़े भक्त हैं। जाएं और जाकर देवता से कहें कि वह खुद ही कुछ करें। जाएं और प्रार्थना करें। ऐसी टिप्पणियों की कोई जरूरत नहीं थी, ये अनुचित थीं और गैर जरूरी थीं। इसका केस के कानूनी मुद्दों से कोई लेना देना नहीं था। जजों को कोर्ट में कम बोलना चाहिए, प्रवचन, उपदेश या व्याख्यान नहीं देने चाहिए।”
राकेश किशोर ने क्या वजह बताई
मंगलवार को जूता फेंकने की कोशिश करने वाले 72 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की टिप्पणी को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की। किशोर ने कहा, “बात यह है कि मैं बहुत ज्यादा आहत हुआ कि 16 सितंबर को चीफ जस्टिस की कोर्ट में किसी व्यक्ति ने जनहित याचिका डाली थी। तो गवई साहब ने पहले तो उसका पूरी तरह से मजाक उड़ाया। मजाक यानी यह कहा कि आप मूर्ति से प्रार्थना करो जाकर, मूर्ति से कहो जाकर कि अपना सिर खुद दोबारा बना ले।”
राकेश किशोर ने कहा, “ठीक है उस आदमी को रिलीफ नहीं देनी थी, तो मत दीजिए, लेकिन ऐसा मजाक भी मत कीजिए उसका। फिर उससे कहा कि आप उसी मूर्ति के सामने जाकर ध्यान लगाएं। अन्याय यह किया कि उसकी याचिका को खारिज भी कर दिया। इन चीजों को लेकर आहत था।”
बेंगलुरु में FIR दर्ज
बेंगलुरु पुलिस ने 72 वर्षीय वकील राकेश किशोर के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज की है। पीटीआई की खबर के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई अखिल भारतीय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष भक्तवचला की शिकायत के बाद की गई।
प्राथमिकी भारतीय न्याय संहिता (IPC) की धारा 132 और 133 के तहत दर्ज की गई है।
धारा 132: लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
धारा 133: गंभीर उकसावे के अलावा किसी अन्य कारण से किसी व्यक्ति का अपमान करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
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