सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। रायपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में 11 साल बाद पार्किंग शुल्क वसूली का ठेका देने से मरीजों में आक्रोश है. रोजाना ओपीडी में करीब 4,000 मरीजों की आमद वाले इस प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान में अब गाड़ी लेकर घुसते ही 10 से 50 रुपए तक का शुल्क वसूला जा रहा है.

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छत्तीसगढ़ के इस इकलौते एम्स में मरीज और उनके परिजन इलाज से पहले पार्किंग कर्मचारियों से उलझ रहे हैं. वहीं ऑटो चालक भी भाड़ा बढ़ाकर 30-50% तक महंगा कर चुके हैं. सबसे चिंताजनक यह है कि इस ठेके का संचालन कोरबा के कुख्यात अपराधी चीना पांडे और उसके गुर्गों द्वारा किया जा रहा है, जिसके खिलाफ हत्या, डकैती, वसूली और अपहरण जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं.

एम्स प्रशासन का कहना है कि वाहनों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए यह कदम उठाया गया है, लेकिन मरीजों को 5 मिनट हो या 5 घंटे, पहले पैसे दो फिर इलाज कराओ की सलाह दी जा रही है. ठेकेदार के कर्मचारी सवाल करने पर धमकी तक दे रहे हैं. परिसर में जगह-जगह लगे बैनरों पर ठेका कंपनी ‘एसएस मल्टीसर्विसेस एम्स रायपुर’ का नाम चमक रहा है, लेकिन स्थानीय स्तर पर यह व्यवस्था विवादों का केंद्र बन चुकी है.

पूरे परिसर में ठेकेदार ने लगाया किराया सूची

ठेकेदार ने पूरे परिसर में पेड़ों, दीवारों और पुलिस बैरिकेडिंग पर किराया सूची के बैनर लगा दिए हैं. बिना भुगतान के प्रवेश निषेध है, जिससे मरीजों को गेट पर ही जद्दोजहद करनी पड़ रही है. एक मरीज ने बताया, हम गरीब घरों से आते हैं, बीमारी की मार झेल रहे हैं, ऊपर से यह तंगी. पहले कभी ऐसा नहीं होता था.

ठेकेदार का काला इतिहास

सबसे बड़ा सवाल ठेकेदार की पृष्ठभूमि पर उठ रहा है. कोरबा जिले के शातिर बदमाश चीना पांडे पर हत्या, डकैती, वसूली और अपहरण के दर्जनों मामले दर्ज हैं. उसके खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई भी हो चुकी है. स्थानीय पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, पांडे का अपराधी गिरोह लंबे समय से सक्रिय है, और अब एम्स जैसे संवेदनशील स्थान पर उसके गुर्गे तैनात हैं. मरीजों और परिजनों के बीच बहस की स्थिति में हिंसा का खतरा मंडरा रहा है. एक परिजन ने कहा, ऐसे लोगों को अस्पताल के ठेके कैसे मिले? क्या एम्स प्रबंधन को इसकी जानकारी नहीं?

परिजनों पर पड़ रही दोहरी मार

एम्स पहुंचाने वाले ऑटो चालक भी शुल्क से त्रस्त हैं. गेट के अंदर प्रवेश पर 30 रुपये वसूली से नाराज वे सामान्य 50 रुपये के भाड़े को 80 रुपये और 100 रुपये वाले को 130 रुपये तक ले जा चुके हैं. इससे मरीजों और चालकों के बीच झगड़े हो रहे हैं. एक ऑटो चालक बोला, हमें भी तो खर्चा उठाना पड़ता है. ठेका न होता तो भाड़ा नहीं बढ़ाते.

प्रबंधन ने दिया अव्यवस्था का हवाला

एम्स के जनसंपर्क अधिकारी मृत्युंजय राठौर ने स्पष्ट किया, वाहनों की बढ़ती संख्या से अव्यवस्था हो रही थी. पार्किंग ठेका व्यवस्था बनाने के लिए दिया गया है. इससे विवाद नहीं होना चाहिए. हालांकि, उन्होंने ठेकेदार की पृष्ठभूमि पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.