देहरादून. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बद्री गाय को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. हरीश रावत ने कहा, आज पहाड़ों की एक लंबी परिक्रमा कर देहरादून पहुंचा. रास्ते में सड़क की टूट-फूट, गड्ढे, माना बरसात और बरसात की ऋतु के बाद लोगों को झेलने ही पड़ते हैं, मैंने भी झेले. कुछ ज्यादा ही गड्ढे थे. मगर एक बात जो हमेशा अपने राज्य की सड़कों पर निकलने के बाद मुझे जाम के साथ परेशान करती है और पहाड़ों में सड़कों के किनारे छोटे-छोटे बाजारों में दर्जनों की संख्या में गाय और बैल लावारिस दिखते हैं, किसी का पांव टूटा हैं तो कोई घायल सड़क के किनारे पड़ा हुआ है. एकाध जगह पर मरे हुए जानवर के कंकाल भी मिले. जिन पहाड़ों में गायों का अत्यधिक सम्मान होता था, बैल की भी पूजा होती थी, क्योंकि वह लोगों को अन्नदाता के रूप में दिखाई देता था. उत्तराखंड में आज जो गाय की दुर्दशा हो रही है, वह मुझे बहुत दुखित करती है.
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आगे उन्होंने कहा, मुझे बचपन की याद है, मेरे घर में दोपहर का खाना बनने के बाद हम बच्चों को तब परोसा जाता था. जब पहले गाय के लिए ग्रास उसको गौग्रास कहते थे वह निकाला जाता था और एक तिमले के पत्ते में पूर्वजों के नाम भी कुछ चावल, दाल या जो भी पकवान बने होते थे, उसका टुकड़ा रखा जाता था. वह पूर्वजों को अर्पित किया जाता था और फिर भूमिया देवता को “अन्न जीमने” से पहले मेरे पिताजी, चाचाजी लोग जो है भूमिया देवता को थोड़ा सा अन्न चढ़ाते थे और हम बच्चों की ड्यूटी रहती थी कि हम गाय वह गौग्रास खिलाकर के आएं. जिस गाय की पूजा होती थी बधाण देवता जंगलों में होते थे उनकी पूजा होती थी गाय के दूध से, जिसको आज बद्री गाय कहा जाता है, मैं उस गाय का उल्लेख कर रहा हूं. आज वह बद्री गाय घर-गांव के खूंटे से बाहर हो गई है, बैल भी बाहर हो गए हैं और जिनके पास हैं, यदि वह जरा सा बूढ़े हो रहे हैं तो उसके बाद उनको सड़कों में लावारिस छोड़ दिया जा रहा है. एक समूह भी बन गया है आवारा पशुओं का, वह जिस गांव के अंदर निकल पड़ रहे हैं उसे चौपट कर दे रहे हैं। गौ माता का यह अपमान बहुत दुखता है.
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आगे हरीश रावत ने कहा, मैं हमेशा बद्री गाय को जो पुट्ठा निकली हुई गाय हैं. उसको मैंने हमेशा गौ माता के रूप में देखा और भारत के कृषि मंत्री के रूप में कुछ ऐसे क्षेत्रों में जहां हमारी यह पारंपरिक गायें पाली जाती हैं, वहां जाने का व उनको देखने का भी मुझे सौभाग्य मिला. यदि सरकार, मेरे सुझाव का आदर करने वाले होती तो मैं कहता केवल शब्दों में ही इसको गौ माता के रूप में मत पूजिये बल्कि इसकी वास्तविक पूजा करनी है तो उसके लिए अमुक-अमुक योजना को क्रियान्वित करिए और मैं आप सबसे वादा करता हूं मैं जो कह रहा हूं, कभी यदि मेरी सुनने वालों के लोगों के हाथ में सत्ता आ गई तो वे इस काम को करवाएंगे और “बद्री गाय” का जो वास्तविक स्थान है वह दिलवाएंगे.
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