2020 में हुए दिल्ली दंगों में शामिल होने के आरोप झेल रहे जेएनयू छात्र उमर खालिद ने दिल्ली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया है। कड़कड़डूमा कोर्ट में खालिद के वकील ने दावा किया कि दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश के मामले में उनकी गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले, पुलिस ने एक झूठे गवाह को “सिखाया-पढ़ाया” था। वकील के अनुसार, इस गवाह ने कोर्ट में बयान दिया कि उमर खालिद ने शाहीन बाग स्थित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के दफ्तर में हुई एक बैठक में हिस्सा लिया था, जो कथित साजिश के लिए आयोजित की गई थी। खालिद के वकील ने यह भी बताया कि गवाह का यह बयान पुलिस के निर्देश पर तैयार किया गया था, जिसे खालिद ने पूरी तरह झूठा और मनगढ़ंत बताया।

कड़कड़डूमा कोर्ट में उनकी ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदेव पायस ने बताया कि पुलिस सह-आरोपी और पूर्व आप पार्षद ताहिर हुसैन के ड्राइवर राहुल कसाना के मनगढ़ंत बयान पर निर्भर है। पायस के अनुसार, कसाना ने कथित तौर पर जांच अधिकारियों को बताया था कि उमर खालिद, ताहिर हुसैन और एमबीबीएस की छात्रा गुलफिशा फातिमा ने दंगों की योजना बनाने के लिए शाहीन बाग में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के दफ्तर में मुलाकात की थी। खालिद के वकील ने यह दावा किया कि यह बयान पूरी तरह झूठा और पुलिस के निर्देश पर तैयार किया गया था। उन्होंने अदालत से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की।

वकील ने अदालत में दलील दी कि यह बयान 1 अक्टूबर, 2020 को खालिद की गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले गढ़ा गया। पायस ने कहा, “जब उनसे मई 2020 में पहली बार पूछताछ की गई थी, तो उन्होंने दंगों का जिक्र किया था, लेकिन जनवरी में हुई कथित बैठक का कोई जिक्र नहीं किया। खालिद की गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले, उन्हें अचानक ऐसी घटना याद आती है और वह एक झूठा बयान देते हैं। ऐसे बयान की सत्यता पर सवाल उठाया जाना चाहिए।”

पायस ने खजूरी खास की पिछली एक एफआईआर का भी हवाला दिया, जिसमें खालिद को 2022 में बरी कर दिया गया था और एक अदालत ने पहले ही कसाना की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा, “उन पर पहले भी विश्वास नहीं किया गया था, फिर भी अब उनके बयानों को एकदम सही (गॉस्पेल ट्रुथ) माना जा रहा है।”

पायस ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) की ओर भी इशारा किया, जिनके अनुसार खालिद, गुलफिशा फातिमा और ताहिर हुसैन 8 जनवरी, 2020 को PFI दफ्तर में नहीं बल्कि दिल्ली के अलग-अलग स्थानों पर थे। वकील का कहना था कि यह रिकॉर्ड पुलिस के दावे का स्पष्ट खंडन करता है।

उन्होंने अदालत में कहा, “PFI का दफ्तर शाहीन बाग में है। पुलिस कहती है कि खालिद रात 9 बजे वहां थे, लेकिन उनके फोन की लोकेशन उन्हें जाकिर नगर में दिखाती है। दिल्ली पुलिस कह रही है कि ये आपत्तियां मामूली मुद्दे हैं, लेकिन समय नहीं बदलेगा, या तो आप आरोप तय करने के चरण में इस पर भरोसा करें या ट्रायल के दौरान।”

उमर के वकील ने यह भी तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष एक कमजोर साजिश के सिद्धांत को मजबूत करने के लिए खालिद को ऐसी बैठक से जोड़ रहा है जो कभी हुई ही नहीं थी। पायस ने कहा, “कथित तौर पर 8 जनवरी, 2020 को हुई बैठक में खालिद मौजूद नहीं थे और न ही उन्हें पता है कि पुलिस जिसे मुख्य साजिश की बैठक बता रही है, उसमें क्या बात हुई थी।”

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