Bastar News: बीजापुर। जिले के पिड़िया इलाके में नक्सलियों ने आईईडी से एक मासूम आदिवासी बालक को शिकार बनाया है. गुरुवार देर शाम में जंगल में गाय चराने गया बच्चा आईईडी की चपेट में आया. बच्चे का फिलहाल जिला अस्पताल में इलाज जारी है.
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कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद दवा दुकानों की कड़ी जांच
जगदलपुर। मध्यप्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत के बाद बस्तर संभाग के सभी जिलों में खाद्य एवं औषधि प्रशासन सक्रिय हो गया है. जगदलपुर में जिला अस्पताल स्थित मेडिकल स्टोरों की अचानक जांच की गई.

सात ड्रग इंस्पेक्टरों की टीम ने स्टॉक रजिस्टर, बिलिंग दस्तावेज और दवाओं की वैधता की बारीकी से पड़ताल की. इस दौरान कुछ दुकानों से संदिग्ध दवाओं के सैंपल भी लिए गए हैं जिन्हें प्रयोगशाला भेजा गया है. जांच में पाया गया कि कुछ मेडिकल स्टोर्स पर कफ सिरप का अत्यधिक भंडारण और बिना बिल की बिक्री की जा रही थी.
अधिकारियों ने साफ चेतावनी दी है कि ऐसे मामलों में ड्रग लाइसेंस निलंबित किए जा सकते हैं. हालांकि जिस कंपनी के सिरप से मौत हुई, वह यहां नहीं मिला, लेकिन एक अन्य उत्पाद की सैंपलिंग की गई है. विभाग ने कहा है कि पूरे संभाग में अभियान जारी रहेगा ताकि किसी भी असुरक्षित दवा का उपयोग न हो सके.
सीतली गांव ने पेश की वन संरक्षण की मिसाल
कोण्डागांव। जिले के सीतली गांव के ग्रामीणों ने अवैध कटाई और कब्जे के खिलाफ अनूठी पहल की है. रविवार सुबह ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से जंगलों का निरीक्षण कर निर्णय लिया कि जो भी व्यक्ति पेड़ काटेगा या अतिक्रमण करेगा, उस पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
बीते महीनों में अवैध कटाई की घटनाओं ने जंगलों की हरियाली और जैव विविधता को नुकसान पहुंचाया है. ग्रामीणों ने कहा कि यह फैसला सिर्फ जंगल नहीं बल्कि उनके भविष्य की रक्षा के लिए है. इस अभियान में हर परिवार से एक सदस्य शामिल हुआ. जिला पंचायत सदस्य, वन सुरक्षा समिति और सरपंच प्रतिनिधियों ने इस सामूहिक निर्णय की सराहना की. प्रशासन से भी मांग की गई कि ऐसे मामलों पर कड़ी निगरानी रखी जाए. सीतली गांव की यह पहल अब अन्य गांवों के लिए उदाहरण बन रही है.
अबूझमाड़ से महाराष्ट्र तक सड़क निर्माण को मिली मंजूरी
नारायणपुर। जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में कुतुल से नीलांगुर तक 21.5 किमी लंबी सड़क निर्माण को राज्य सरकार की मंजूरी मिल गई है. लगभग 152 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली यह सड़क टू-लेन पेव्ड शोल्डर सहित होगी. यह मार्ग बस्तर अंचल को महाराष्ट्र से जोड़ेगा और क्षेत्र में व्यापार, पर्यटन व सुरक्षा को मजबूती देगा.
केंद्र से फॉरेस्ट क्लीयरेंस और निर्माण अनुमति पहले ही मिल चुकी है. अब लोक निर्माण विभाग ने न्यूनतम दर वाले ठेकेदार से अनुबंध की प्रक्रिया पूरी कर ली है. यह सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग 130-डी का हिस्सा है, जिसकी कुल लंबाई 195 किमी है और इसमें से 122 किमी हिस्सा छत्तीसगढ़ में आता है. अबूझमाड़ जैसे दुर्गम इलाके में यह सड़क विकास की नई राह खोलेगी और ग्रामीणों को मुख्यधारा से जोड़ेगी.
आत्मसमर्पित नक्सली अब स्वरोजगार की राह पर
बीजापुर। जिले के 32 आत्मसमर्पित माओवादी अब अपनी नई पहचान बना रहे हैं. इन सभी ने जगदलपुर स्थित क्षेत्रीय स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान में मुर्गी और बकरी पालन की एक महीने की ट्रेनिंग पूरी की है. इस प्रशिक्षण में उन्हें पशुपालन के वैज्ञानिक तरीके, टीकाकरण, चारा प्रबंधन और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर चल रही पुनर्वास नीति के तहत इन माओवादियों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया गया है. सरकार ने प्रशिक्षण के साथ-साथ ऋण सहायता और विपणन मार्गदर्शन की भी व्यवस्था की है. इनका कहना है कि अब वे हिंसा छोड़कर सम्मानजनक जीवन जीना चाहते हैं. बीजापुर के इन युवाओं की नई शुरुआत बस्तर में शांति और विकास की मिसाल बन रही है.
कांग्रेस संगठन सृजन अभियान में बढ़ी हलचल
दंतेवाड़ा। कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के तहत दंतेवाड़ा जिले में नए जिलाध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया तेज हो गई है. जिले में पहुंचे पर्यवेक्षकों ने कार्यकर्ताओं से बंद कमरे में वन-टू-वन चर्चा की. दंतेवाड़ा के चारों ब्लॉकों से कार्यकर्ताओं ने अपनी राय दी. कुल पांच लोगों ने जिलाध्यक्ष पद के लिए आवेदन प्रस्तुत किया है.
पर्यवेक्षक सैयद अजमतुल्ला हुसैनी और दो विधायकों ने सभी ब्लॉक, शहर व ग्रामीण कांग्रेस प्रतिनिधियों से संवाद किया. उनका कहना है कि नए नेतृत्व का चयन सक्रियता और जनसंपर्क के आधार पर होगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का लक्ष्य निचले स्तर तक संगठन को सशक्त बनाना है. 20 अक्टूबर तक जिलाध्यक्ष की घोषणा की जाएगी. जिले में इस प्रक्रिया से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा देखी जा रही है.
रायपुर उड़ान रद्द, बस्तरवासियों में नाराजगी
जगदलपुर। हवाई सेवाओं के विंटर शेड्यूल में जगदलपुर-रायपुर उड़ान शामिल नहीं की गई है, जिससे लोगों में नाराजगी है. एलाइंस एयर ने पहले हफ्ते में चार दिन उड़ान चलाने की सहमति दी थी, लेकिन विमान की कमी का हवाला देकर योजना वापस ले ली गई.
वर्तमान में जगदलपुर से हैदराबाद, दिल्ली, जबलपुर और बिलासपुर के लिए सेवाएं जारी हैं. रायपुर उड़ान बंद होने से यात्रियों को सड़क मार्ग से सफर करना पड़ रहा है. नागरिकों का कहना है कि पहले पर्याप्त सवारी मिलती थी, पर किराया अधिक होने से लोग हिचकिचाने लगे. विशाखापट्टनम उड़ान की योजना भी फंसी हुई है क्योंकि वहां का एयरपोर्ट नेवी के अधीन है. लोगों ने मांग की है कि सरकार हवाई सेवा बहाल करने के लिए ठोस कदम उठाए.
नक्सल प्रभावित गांवों में विकास की उम्मीद
नारायणपुर। अबूझमाड़ क्षेत्र के गुमियाबेड़ा गांव के ग्रामीण अब विकास की नई राह पर हैं. वर्षों तक नक्सलियों के डर में जीने वाले लोग अब प्रशासन से सड़क, पुल और स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग कर रहे हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि 2013 में उन्होंने खुद पहाड़ी काटकर कच्ची सड़क बनाई थी, लेकिन आज भी पक्की सड़क नहीं बनी. बारिश में राशन लाने, बच्चों के स्कूल जाने और मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में भारी दिक्कत होती है. सोमवार को ग्रामीणों ने कलेक्टर से मिलकर अपनी समस्या रखी.
कलेक्टर ने भरोसा दिलाया कि गांव को शीघ्र ही सड़क और मूलभूत सुविधाओं से जोड़ा जाएगा. यह बदलाव दिखाता है कि अबूझमाड़ में नक्सली प्रभाव घट रहा है और लोग विकास की मुख्यधारा में लौट रहे हैं.
परिवहन संघों के बीच चला गतिरोध हुआ खत्म
जगदलपुर। बस्तर परिवहन संघ और रायपुर परिवहन संघ के बीच पिछले सप्ताह से चल रहा विवाद आखिरकार सुलझ गया है. अधिकारियों की मध्यस्थता में दोनों पक्षों ने त्योहारी सीजन को देखते हुए समझौता किया है.
दीपावली के बाद फिर से बैठक कर लंबित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. विवाद की शुरुआत तब हुई थी जब रायपुर संघ ने तय कोटे से कम ट्रकों को माल दिया था, जिससे बस्तर संघ को अलग से ट्रक जुटाने पड़े. अब समझौते के तहत 67 ट्रकों की पर्ची काटी गई है और परिवहन कार्य सामान्य हो गया है.
बताया गया है कि पहले भी इसी तरह का विवाद उत्पन्न हुआ था जिसे राजनेताओं के हस्तक्षेप से सुलझाया गया था. फिलहाल दोनों पक्षों ने मिलकर परिवहन व्यवस्था को पटरी पर लाने की सहमति जताई है.
स्कूल निरीक्षण में शिक्षक पर कार्रवाई के निर्देश
कोंडागांव। जिले के बड़ेराजपुर विकासखंड के प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला मचली का निरीक्षण करते समय अधिकारी ने एक शिक्षक की अनुपस्थिति पकड़ी.
संयुक्त संचालक राकेश पांडेय ने पाया कि शिक्षक बिसाली राम नेताम ने बिना अनुमति के पंजी में हस्ताक्षर कर अनुपस्थित रहे. इस पर कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा गया है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि जवाब असंतोषजनक होने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
निरीक्षण के दौरान सहायक संचालक, बीईओ और बीआरपी सहित कई अधिकारी मौजूद थे. अधिकारियों ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में अनुशासन आवश्यक है और शिक्षकों की नियमित उपस्थिति ही बच्चों के भविष्य की नींव है.
जर्जर आंगनबाड़ी पर कार्रवाई, नया भवन प्रस्तावित
कोंडागांव। जिले के केशकाल क्षेत्र के गारावंडी ग्राम पंचायत स्थित कुम्हारपारा आंगनबाड़ी केंद्र के जर्जर भवन की जानकारी मिलते ही प्रशासन हरकत में आया. कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम आकांक्षा नायक ने केंद्र का निरीक्षण किया.
कलेक्टर ने बताया कि नया भवन निर्माण का प्रस्ताव जिला कार्यालय भेजा गया है और पुराने भवन को तोड़ने का निर्देश जारी हुआ है. निरीक्षण के दौरान तीन कुपोषित बच्चों को एनआरसी भेजने की सलाह दी गई. एसडीएम ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की निष्ठा की सराहना करते हुए कहा कि अन्य कार्यकर्ताओं को भी प्रेरणा लेनी चाहिए. उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि बच्चों की नियमित उपस्थिति और पोषण पर ध्यान दें.
स्वच्छता अभियान में नई रोड स्वीपिंग मशीन शामिल
जगदलपुर। नगर निगम जगदलपुर ने शहर की सफाई व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए नई रोड स्वीपिंग मशीन शुरू की है. महापौर संजय पांडे और नगर निगम अध्यक्ष ने मशीन का पूजन कर इसे सेवा में शामिल किया. यह मशीन आधुनिक तकनीक से लैस है, जो मुख्य सड़कों की सफाई अब तेज और कुशल तरीके से करेगी.
आयुक्त प्रवीण वर्मा ने कहा कि इससे मैनुअल सफाई कर्मियों का काम आसान होगा और सफाई व्यवस्था में गुणवत्ता बढ़ेगी. निगम का लक्ष्य है कि सभी मुख्य सड़कों पर इस तकनीक का उपयोग हो. ‘स्वच्छ जगदलपुर, सुंदर जगदलपुर’ के अभियान के तहत यह मशीन स्वच्छता के नए युग की शुरुआत मानी जा रही है.
ओडिशा के कुम्हारों से रोशन होगी बस्तर की दीवाली
जगदलपुर। दीपावली के नजदीक आते ही बस्तर के बाजारों में रौनक लौट आई है. ओडिशा के नवरंगपुर जिले से आए कुम्हार परिवार मिट्टी के दीयों और कलाकृतियों के हजारों सेट लेकर पहुंचे हैं.
इस साल लगभग 10 हजार दीए बिक चुके हैं, जबकि 50 हजार और लाए जा रहे हैं. बस्तर के लोग अब इन्हीं पारंपरिक दीयों को प्राथमिकता दे रहे हैं. कभी नगरनार गांव टेराकोटा कला का केंद्र था, लेकिन समय के साथ वहां के कारीगर इस पेशे से दूर हो गए.
ओडिशा के कुम्हारों का कहना है कि अगर शासन से सहयोग मिले, तो यह परंपरा फिर से जीवित हो सकती है. बस्तर की यह पारंपरिक कला न केवल संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय आजीविका का भी मजबूत जरिया रही है.
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