सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिल अभिनेता विजय की राजनीतिक पार्टी टीवीके और अन्य द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। याचिका में मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें करूर भगदड़ की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया गया था। इस भगदड़ में 41 लोग मारे गए थे। न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने पक्षकार, पीड़ितों, तमिलनाडु सरकार और अन्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों की दलीलें सुनीं। सभी पक्षों द्वारा प्रस्तुत दलीलों के बाद न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि वह अपना फैसला सुरक्षित रखने से पहले पीड़ितों की ओर से दायर याचिकाओं के जवाब में एक जवाबी हलफनामा दायर करे।

घटना का सीबीआई जांच की मांग

इससे पहले मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने भाजपा नेता उमा आनंदन की उस याचिका पर सुनवाई पर सहमति व्यक्त की थी, जिसमें 27 सितंबर की भगदड़ की सीबीआई जांच से इनकार करने वाले हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। तमिलनाडु के भाजपा नेता जी एस मणि ने भी भगदड़ की सीबीआई जांच की मांग करते हुए एक याचिका दायर की है। टीवीके ने सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में एक स्वतंत्र जांच की मांग की है। याचिका में उच्च न्यायालय द्वारा केवल तमिलनाडु पुलिस के अधिकारियों वाली एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने पर आपत्ति जताई गई है। इसमें कुछ उपद्रवियों द्वारा पूर्व नियोजित साजिश की संभावना का आरोप लगाया गया है जिसके कारण भगदड़ मची।

पुलिस ने विजय पर लगाए थे कई आरोप

इस याचिका में पार्टी और विजय के खिलाफ उच्च न्यायालय की उस तीखी टिप्पणी पर भी आपत्ति जताई गई है जिसमें कहा गया था कि घटना के बाद वे वहां से चले गए और उन्होंने कोई खेद व्यक्त नहीं किया। इससे पहले पुलिस ने कहा था कि रैली में 27,000 लोग शामिल हुए थे, जो अपेक्षित 10,000 लोगों से लगभग तीन गुना अधिक थी। पुलिस ने इस त्रासदी के लिए विजय के कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने में सात घंटे की देरी को जिम्मेदार ठहराया था।

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