शिखिल ब्यौहार, भोपाल। नौकरियों में लागू ठेका प्रथा, कंपनी राज और अस्थायी व्यवस्था के विरोध में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कल महाक्रांति आंदोलन होगा। इसमें प्रदेशभर से कर्मचारी जुटेंगे। प्रदेश के बैंक मित्र, पंचायत चौकीदार, पंप आपरेटर, अंशकालीन भृत्य, स्वच्छाग्राही, राजस्व सर्वेयर, आउटसोर्स एवं अस्थायी कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों के संयुक्त बैनर “आल डिपार्टमेंट आउटसोर्स, अस्थाई, अंशकालीन, ग्राम पंचायत कर्मचारी संयुक्त मोर्चा, मध्यप्रदेश का आंदोलन होगा।

कल सुबह 10 बजे से अंबेडकर पार्क में

सुबह 10 बजे से अंबेडकर पार्क, तुलसी नगर, भोपाल में “महा क्रांति आंदोलन” में नियमित नौकरी और न्यूनतम 21 हजार वेतन देने, नौकरियों में लागू ठेका प्रथा, कंपनी राज और अस्थायी व्यवस्था पूरी तरह खत्म करने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई जाएगी। मोर्चा के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने बताया कि आंदोलन में प्रदेशभर से बड़ी तादात में अस्थायी, आउटसोर्स और पंचायत चौकीदार, पंप आपरेटर, बैंक मित्र, राजस्व सर्वेयर और अंशकालीन कर्मचारी भोपाल जुटेंगे। यह आंदोलन किसी एक वर्ग का नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के शोषित और अस्थायी कर्मचारियों की साझा आवाज है, जो सालों से आर्थिक अन्याय सहती आ रही है। सरकार को यह समझना होगा कि कर्मचारियों की मेहनत और निष्ठा का सम्मान ही सुशासन की पहचान है।

समान काम समान वेतन संवैधानिक अधिकार

शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय से न्याय की नई उम्मीद जगी है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सिविल अपील क्रमांक 8558/2018 (निर्णय दिनांक 19 अगस्त 2025) में कहा है कि लंबे समय से कार्यरत अस्थायी, संविदा व आउटसोर्स कर्मियों से कम वेतन पर नियमित कार्य लेना श्रमिक शोषण है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि समान काम- समान वेतन एवं सामाजिक सुरक्षा उनका संवैधानिक अधिकार है। यह निर्णय लाखों कर्मचारियों के लिए आशा की नई किरण बनकर आया है। लाखों कर्मचारी वर्षों से अस्थिरता झेल रहे हैं। अब हम केवल वादे नहीं, अपने अधिकार की गारंटी चाहते हैं।

प्रदेश में दो दशक से बंद हैं नियमित भर्तियां

संगठन पदाधिकारियों ने बताया कि मध्यप्रदेश में पिछले 20 वर्षों से तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की नियमित भर्तियाँ लगभग बंद हैं.. विभागीय कार्य इन्हीं अस्थायी और आउटसोर्स कर्मियों से कराया जा रहा है, जिन्हें न तो सम्मानजनक वेतन मिलता है और न भविष्य की सुरक्षा, यह स्थिति संवैधानिक मूल्यों और श्रम कानूनों की खुली अवहेलना है।

कर्मचारियों की प्रमुख मांगे

1- समान कार्य समान वेतन नीति को तत्काल लागू किया जाए।
2- ग्राम पंचायत चतुर्थ श्रेणी अस्थायी कर्मचारियों, स्कूल छात्रावासों, शासकीय कार्यालयों के अंशकालीन एवं आउटसोर्स कर्मचारियों को (नियमितीकरण) तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर नियमित किया जाएँ।
3- बैंक ग्राहक सेवा केंद्रों से कंपनियों को हटाकर बैक मित्रों को सीघे बैंक से जोडा जाए एवं नियमित वेतन दिया जाए।
4- लोकल यूथ राजस्व सर्वेयर के लिए मासिक वेतन तय कर नियमित रोजगार दिया जाए।

कर्मचारियों की साझा आवाज

“महा क्रांति आंदोलन” प्रदेश के सभी अस्थायी, आउटसोर्स, अंशकालीन, मीटर रीडर, स्वच्छाग्राही, सर्वेयर, अतिथि शिक्षक, बैंक मित्र, पंचायत चौकीदार, पंप आपरेटर, योग प्रशिक्षक, स्वास्थ्य कर्मियों एवं ग्राम पंचायत कर्मचारियों की साझा आवाज है।
मोर्चा के पदाधिकारी राजभान रावत, इंद्रजीत सेन, नत्थूलाल कुशवाहा, पवन परमार, वीरेंद्र गोस्वामी, बृजेश पांडे, अरुण गौतम,रजत शर्मा, नरेश प्रजापति, प्रकाश यादव, मनोज उईके, राजेश धौलपुरे, विक्रम राजौरिया, विपिन पांडे,शिवेंद्र पांडे आदि ने आवाहन किया है कि 12 अक्टूबर को सभी साथी बड़ी संख्या में भोपाल पहुंचे और एकजुटता की ताकत दिखा कर सरकार को नौकरियों में लागू अस्थाई, आउटसोर्स, ठेका, कंपनी प्रथा को बंद करने के लिए मजबूर किया जाए।

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