Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि राजधानी सरकार केवल मुनाफाखोरी, शिक्षा के व्यावसायीकरण और ‘कैपिटेशन फीस’ वसूली पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से ही निजी, गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों की फीस व्यवस्था को नियंत्रित कर सकती है। मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने 9 अक्टूबर को जारी आदेश में स्पष्ट किया कि सरकार इन स्कूलों पर व्यापक रोक नहीं लगा सकती और न ही मनमाने तरीके से फीस बढ़ोतरी के नियम तय कर सकती है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि सरकार स्कूलों की फीस की जांच कर सकती है, लेकिन यह केवल तभी संभव है जब यह सुनिश्चित करना हो कि स्कूल मुनाफाखोरी, शिक्षा के व्यवसायीकरण या ‘कैपिटेशन फीस’ लेने जैसी गतिविधियों में शामिल न हों। साथ ही, अदालत ने यह भी जोड़ा कि स्कूलों द्वारा अर्जित लाभ या अधिशेष राशि का उपयोग केवल संस्थान की उन्नति और शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए, न कि किसी अन्य निजी या व्यावसायिक प्रयोजन के लिए। न्यायालय के अनुसार, फीस निर्धारण करते समय स्कूलों को अपने ढांचे, सुविधाओं, शिक्षकों-कर्मचारियों के वेतन और भविष्य की विकास योजनाओं को ध्यान में रखना चाहिए।
शिक्षा विभाग का हस्तक्षेप किन मामलों में होगा?
न्यायालय ने शिक्षा निदेशालय और विभिन्न छात्रों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें ब्लूबेल्स इंटरनेशनल स्कूल और लीलावती विद्या मंदिर पर शैक्षणिक सत्र 2017-18 के लिए फीस बढ़ाने की रोक को हटाया गया था। पीठ ने स्पष्ट किया कि वह एकल न्यायाधीश के निष्कर्ष से सहमत है कि गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों की फीस निर्धारण में शिक्षा विभाग का हस्तक्षेप केवल उन मामलों तक सीमित है, जहाँ स्कूल ‘कैपिटेशन फीस’ वसूलने या मुनाफाखोरी में शामिल हों।
वसूली गई राशि कानूनी नियमों के अनुरूप खर्च नहीं हुई
अदालत ने कहा कि यदि स्कूलों द्वारा प्रस्तुत फीस विवरण की जांच के दौरान शिक्षा निदेशालय को यह पता चलता है कि वसूली गई राशि कानूनी नियमों के अनुरूप खर्च नहीं की जा रही है, तो स्कूल के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सकती है। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए भी जरूरी है कि स्कूल मुनाफाखोरी, व्यावसायीकरण या ‘कैपिटेशन फीस’ वसूलने में लिप्त न हों और उनका अधिशेष या मुनाफा केवल संस्थान की उन्नति और शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए ही उपयोग किया जाए, न कि किसी अन्य व्यक्तिगत या व्यावसायिक प्रयोजन के लिए।
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक