सत्या राजपूत, रायपुर. शार्ट सर्किट से ट्रक पूरी तरह जलकर राख हो गई थी. ट्रक मालिक ने क्षतिपूर्ति के लिए ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी के समक्ष दावा प्रस्तुत किया था, जिसे बीमा कंपनी ने वाहन के नेशनल परमीट का आथराइजेशन समाप्त होने की बात कहते हुए निरस्त कर दिया. इससे क्षुब्ध होकर ट्रक मालिक ने जिला उपभोक्ता आयोग अंबिकापुर के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया था. वहीं राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील किया था। इस मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग ने सुनवाई करते हुए बीमा कंपनी को पीड़ित ट्रक मालिक को 29 लाख क्षतिपूर्ति राशि देने का फैसला सुनाया.

जिला सुरजपुर निवासी परिवादी निशांक शुक्ला के ट्रक में बसंतपुर घाट, जिला बलरामपुर में शार्ट सर्किट से आग लग जाने से गाड़ी पूरी तरह जलकर राख हो गई थी. ट्रक की बीमा अवधि बची थी फिर भी बीमा कंपनी ने क्षतिपूर्ति नहीं दी. परिवादी की शिकायत पर मामले की सुनवाई जिला उपभोक्ता आयोग अंबिकापुर में हुई. बीमा कंपनी ने दावा निरस्तीकरण के कारण को सही बताते हुए परिवाद को निरस्त करने का निवेदन किया, जिस पर जिला उपभोक्ता आयोग ने दावा को अमानक आधार पर विचार कर सर्वेयर के आकलन का 75 प्रतिशत अर्थात 15,81,275 रुपए भुगतान करने का आदेश दिया.
परिवादी ने क्षतिपूर्ति को वाहन के बीमित मूल्य के बराबर करने के लिए राज्य उपभोक्ता आयोग के समक्ष अपील प्रस्तुत किया। अपील की सुनवाई के दौरान राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम चौरड़िया एवं सदस्य प्रमोद कुमार वर्मा की पीठ ने यह पाया कि नेशनल परमिट छत्तीसगढ़ राज्य में जारी की गई थी और वाहन के छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर परिचालन के लिए अलग से परमीट आथराइजेशन की आवश्यकता नहीं है. वाहन की दुर्घटना भी छत्तीसगढ़ राज्य के अंतर्गत ही हुई है. अतः बीमा कंपनी को बीमा दावा मानक आधार निर्णित करना था, किंतु ऐसा नही कर बीमा कंपनी द्वारा सेवा में कमी की गई है.
राज्य उपभोक्ता आयोग ने कहा, वाहन का रिपेरिंग व्यय उसके बीमीत मूल्य के 75 प्रतिशत से अधिक है. बीमा कंपनी वाहन को संपूर्ण क्षति मानते हुए उसके बीमीत मूल्य का भुगतान परिवादी को करे. इस आधार पर अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर जिला आयोग के आदेश को संशोधित किया गया. फलस्वरूप बीमा कंपनी को संयुक्त अथवा पृथक-पृथक रूप से 45 दिनों के भीतर परिवादी को वाहन का बीमीत मूल्य में से कंपलसरी एक्सेस 1,500 रुपए घटाकर कुल 29,05,500 रुपए 22 नवंबर 2024 से 6 प्रतिशत वार्षिक दर से साधारण ब्याज एवं वाद व्यव 5,000 रुपए भुगतान करना होगा. 45 दिवस के भीतर उक्त राशि का भुगतान नहीं करने की स्थिति में ब्याज 8 प्रतिशत वार्षिक दर से भुगतान करना होगा.
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