अभय मिश्रा, मऊगंज। मध्यप्रदेश के मऊगंज जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जिसने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ऐसी एफआईआर दर्ज की गई, जो न सिर्फ घटनाक्रम से मेल नहीं खाती, बल्कि मेडिकल रिपोर्ट तक घटना से घंटों पहले तैयार कराई गई, लेकिन जब घटना हुई ही नहीं, तो मेडिकल कैसे हुआ ? और जब आरोपी प्रदेश से बाहर थे, तो पुलिस ने जांच किस आधार पर पूरी कर दी ?
दरअसल, मऊगंज जिला और इसका थाना इस समय चर्चा में है, क्योंकि यहां अब पुलिस की फर्जी बाजी का एक नया खेल शुरू हो चुका है। 3 अगस्त 2025, सुबह 4 बजकर 46 मिनट, एक रिपोर्ट दर्ज की जाती है, जो पूरे जिले में चर्चा का विषय बन जाती है। रिपोर्ट में शिकायतकर्ता सुषमा चौबे बताती हैं कि 3 अगस्त की रात 12:30 बजे उनके साथ गिरधर गोपाल चौबे और विपिन चौबे ने मारपीट की और घर में तोड़फोड़ की। पुलिस ने भी तत्परता दिखती है और 6 से अधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लेती है।
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घटना के ढाई घटना पहले मेडिकल
लेकिन असली कहानी यहीं से शुरू होती है। क्योंकि सुषमा चौबे का मेडिकल परीक्षण घटना से 2 घंटे 30 मिनट पहले, यानि 2 अगस्त की रात 10:10 बजे सिविल अस्पताल मऊगंज में करवा लिया गया! अब बड़ा सवाल यह है, जब घटना 3 अगस्त की रात 12:30 पर हुई बताई गई, तो मेडिकल 2.30 घंटे पहले कैसे हो गया ? क्या पुलिस ने भविष्य देखकर मेडिकल करा लिया था? इतना ही नहीं सुषमा के पति केसरी चौबे का मेडिकल परीक्षण घटना के 22 घंटे बाद कराया गया, यानि एक ही घटना, एक ही घर, लेकिन एक का मेडिकल घटना से पहले और दूसरे का एक दिन बाद! और जब अपराधी की तलाश की गई, तो पता चला कि जिन दो भाइयों पर आरोप लगाए गए है, गिरधर गोपाल चौबे और विपिन चौबे, वे उस वक्त छत्तीसगढ़ में मौजूद है।
एक सरकारी कर्मचारी, दूसरा शिक्षक
दोनों के पास एम्स अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज, दवाई की पर्चियां और उपस्थिति रजिस्टर बतौर सबूत मौजूद हैं। यानि न वो मऊगंज में थे, न घटना में शामिल, फिर भी पुलिस ने न सिर्फ एफआईआर दर्ज की, बल्कि 6 सितंबर को धारा 179 का नोटिस जारी करते हुए कहा कि विवेचना पूरी हो चुकी है! अब सवाल उठता है कि जब आरोपी मौके पर थे ही नहीं, तो पुलिस ने किसके खिलाफ जांच पूरी कर ली ?
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मेडिकल रिपोर्ट में चोट की पुष्टि, थाना प्रभारी ने कही ये बात
पीड़ित पक्ष अब न्याय की गुहार लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक पहुंचा है। जहां उन्होंने पूरे सबूतों के साथ अपनी निर्दोषता साबित करने की अपील की है। लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि डॉक्टर की ओर तैयार की गई मेडिकल रिपोर्ट में चोट लगने की पुष्टि भी कर दी गई है! यानी, घटना घटी भी नहीं, मेडिकल 2.30 घंटे पहले हो गया और बिना घटना के चोट की पुष्टि भी कर दी गई! ऐसा लगता है मानो पूरी स्क्रिप्ट पहले से ही तैयार थी और पुलिस ने बस उसी पर हस्ताक्षर कर दिए। वहीं मऊगंज थाना प्रभारी संदीप भारतीय ने बताया कि मामले की जांच चल रही है, अभी तक कोई चालानी कार्रवाई नहीं की गई है। फरियादी की रिपोर्ट पर अपराध पंजीबद्ध है, जो विवेचना में है। गिरधर गोपाल ने छत्तीसगढ़ के रायपुर में अपनी लोकेशन और उपस्थिति के दस्तावेज पेश किए है, इस एंगल पर भी जांच की जा रही है।

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