पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने अपने अभियान की शुरुआत कर दी है। पार्टी ने अपनी पहली उम्मीदवारों की सूची जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि इस बार वह एक नए राजनीतिक विकल्प के रूप में मैदान में उतरने जा रही है। AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने कहा कि पार्टी का उद्देश्य धर्मनिरपेक्ष वोटों का बंटवारा रोकना और सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ना है।

चार जिलों में उतरेगी AIMIM

अख्तरुल इमान ने बताया कि AIMIM इस बार बिहार के चार जिलों में चुनाव लड़ेगी, जिनमें किशनगंज प्रमुख केंद्र रहेगा। इसके अलावा पार्टी ने पूर्णिया, कटिहार, अररिया जैसे जिलों में भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि पार्टी का ध्यान उन क्षेत्रों पर रहेगा जहां अल्पसंख्यक समुदाय की जनसंख्या अधिक है ताकि उनकी आवाज़ को विधानसभा तक पहुंचाया जा सके।

जनता के मुद्दों पर फोकस

AIMIM ने इस चुनाव में जनता से जुड़े बुनियादी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है। अख्तरुल इमान ने कहा कि उनकी पार्टी शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय को मुख्य चुनावी एजेंडा बनाएगी। उन्होंने दावा किया कि AIMIM बिहार के उन लोगों की आवाज़ बनेगी जिन्हें अब तक मुख्यधारा की राजनीति ने नज़रअंदाज़ किया है।

गठबंधन से दूरी और नया राजनीतिक समीकरण

अख्तरुल इमान ने खुलासा किया कि पार्टी ने पहले महागठबंधन के बड़े दलों से तालमेल की कोशिश की थी, लेकिन जब बात नहीं बनी तो AIMIM ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया। अब पार्टी एक तीसरे विकल्प के रूप में चुनावी मैदान में उतरेगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि AIMIM का यह कदम बिहार के पारंपरिक गठबंधन समीकरणों में नई हलचल पैदा कर सकता है।

नया खेल: तीसरा मोर्चा बदल सकता है समीकरण

सूत्रों के अनुसार AIMIM छोटे और क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर एक तीसरे गठबंधन की दिशा में बढ़ रही है। यह नया मोर्चा एनडीए और महागठबंधन—दोनों के लिए चुनौती साबित हो सकता है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि AIMIM का बढ़ता जनाधार और मुस्लिम वोट बैंक पर पकड़ बिहार की कई सीटों पर मुकाबले को दिलचस्प बना सकती है।

Read More: अब नीतीश के करीबी ने छोड़ा साथ, जेडीयू के नीतियों पर उठाए सवाल, किस पार्टी से गोपाल मंडल लड़ेंगे चुनाव, टिकट बंटवारे के पहले पार्टियों में मचा बवाल!