भारत दौरे पर आए अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को प्रवेश न देने को लेकर जारी विवाद के बीच तालिबान ने सफाई दी है। तालिबान के राजनीतिक प्रमुख सुहैल शाहीन ने शनिवार को बयान जारी कर कहा कि महिलाओं को बाहर रखने का निर्देश उनकी ओर से नहीं दिया गया था। उन्होंने स्पष्ट किया, “इस मामले में तालिबान की कोई भूमिका नहीं थी।” गौरतलब है कि इस घटना को लेकर भारत में भी सवाल उठे थे। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय ने पहले ही साफ कर दिया था कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन भारत सरकार की ओर से नहीं किया गया था, इसलिए महिला पत्रकारों को बाहर रखने के फैसले में भारत की कोई भूमिका नहीं थी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों को बाहर रखने को लेकर उठे बवाल पर तालिबान ने सफाई दी है। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि जो कुछ भी हुआ, वह अनजाने में हुआ और इसके पीछे महिलाओं के प्रति किसी तरह का भेदभाव नहीं था। शाहीन ने कहा, “महिलाओं के खिलाफ भेदभाव की कोई नीति नहीं है। पास की संख्या सीमित थी — कुछ लोगों को प्रवेश मिला, कुछ को नहीं। यह पूरी तरह एक तकनीकी मामला था, न कि कोई नीतिगत निर्णय।” उन्होंने आगे कहा कि भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचने के लिए सावधानी बरती जाएगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक शाहीन ने कहा, “हमारे बारे में जो कुछ कहा जा रहा है, वह बिल्कुल भी सच नहीं है। अफगानिस्तान में भी महिला पत्रकार हैं और वे मीडिया संस्थानों में सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। काबुल में विदेश मंत्री मुत्ताकी खुद महिला पत्रकारों से नियमित रूप से मिलते हैं और उनके सवालों के जवाब देते हैं। यहां किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है।”
विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर केंद्र सरकार पर तीखे सवाल उठाए हैं। वहीं, सोशल मीडिया पर भी महिलाओं के प्रवेश पर लगे कथित प्रतिबंध को लेकर आक्रोश फैल गया है। बढ़ते विवाद के बीच भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने साफ किया कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत का कोई हस्तक्षेप नहीं था। मंत्रालय ने कहा, “यह संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं थी, बल्कि अफगान दूतावास में आयोजित एक अलग प्रेस वार्ता थी।” मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कार्यक्रम में केवल चुनिंदा पुरुष पत्रकार और अफगान दूतावास के अधिकारी मौजूद थे।
दारुल उलूम देवबंद में भव्य स्वागत
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी का शनिवार को उत्तर प्रदेश के दारुल उलूम, देवबंद में गर्मजोशी से स्वागत किया गया। मुत्ताकी अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ दिल्ली से सड़क मार्ग के जरिए देवबंद पहुंचे। दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम (कुलपति) मौलाना अबुल कासिम नोमानी, जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और दारुल उलूम के अन्य पदाधिकारियों ने मुत्ताकी और उनके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। मौलाना अरशद मदनी ने इस मौके पर कहा कि भारत और अफगानिस्तान के धार्मिक और शैक्षणिक संबंध काफी पुराने हैं। उन्होंने बताया, “जमीयत-ए-उलेमा का अफगानिस्तान से रिश्ता बहुत पुराना है। वहां से हज़ारों छात्र यहां पढ़ने आए हैं और शिक्षा पूरी करने के बाद वापस लौट गए हैं।”
भारत दौरे पर हैं अफगानिस्तान के विदेश मंत्री
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी इन दिनों भारत दौरे पर हैं। शुक्रवार को उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय सुरक्षा और मानवीय सहयोग जैसे मुद्दों पर विस्तृत बातचीत हुई।
बैठक के बाद मुत्ताकी ने एक संवाददाता सम्मेलन किया, लेकिन इसमें महिला पत्रकारों को शामिल नहीं किया गया। इस फैसले ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे सवाल करते हुए कहा, “संवाददाता सम्मेलन से महिला पत्रकारों को क्यों दूर रखा गया? अगर महिलाओं के अधिकारों के प्रति आपकी प्रतिबद्धता सिर्फ चुनाव तक सीमित है, तो यह देश को बताना चाहिए।”
जानकारी के अनुसार, भारतीय अधिकारियों ने अफगान प्रतिनिधिमंडल को सुझाव दिया था कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को भी आमंत्रित किया जाए, लेकिन तालिबान अधिकारियों ने यह सुझाव नहीं माना।
अफगानिस्तान में महिला अधिकारों पर प्रतिबंधों को लेकर पहले से ही आलोचनाओं के घेरे में घिरा तालिबान शासन एक बार फिर विवादों में है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और कई देशों ने तालिबान की नीतियों की कड़ी आलोचना की है, जिनके तहत महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक जीवन में भागीदारी पर गंभीर सीमाएं लगाई गई हैं।
भारत दौरे के दौरान भी जब अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति पर सवाल किया गया, तो उन्होंने इस मुद्दे पर सीधा जवाब देने से परहेज़ किया। मुत्ताकी ने कहा, “हर देश के अपने रीति-रिवाज, कानून और सिद्धांत होते हैं, और उनका सम्मान किया जाना चाहिए।”
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