रायपुर. इस साल दीपावली के पहले रवि-पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग मंगलवार, 14 अक्टूबर को आने जा रहा है. धार्मिक पौराणिक मान्यतानुसार इस पुष्य नक्षत्र के संयोग पर वस्तुओं की खरीदारी को अत्यंत शुभ माना गया है. पुष्य नक्षत्र 14 अक्टूबर, मंगलवार को सुबह 11:54 बजे शुरू होकर 15 अक्टूबर, बुधवार को दोपहर 12 बजे समाप्त होगा.

धर्मशास्त्रों के अनुसार पुष्य नक्षत्र के प्रमुख देवता बृहस्पति (देव गुरु) हैं. हालांकि शनि ग्रह भी इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह है. बृहस्पति के प्रभाव से इस नक्षत्र के गुण अधिक दिखाई देते हैं. इसलिए, पुष्य नक्षत्र में बृहस्पति और शनि दोनों की पूजा लाभकारी मानी जाती है. कुछ मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण और मां लक्ष्मी का जन्म भी पुष्य नक्षत्र के दौरान हुआ था, इसलिए उन्हें भी इस शुभ अवसर का  देवता और देवी मानकर पूजा की जाती है. इस पुष्य नक्षत्र के शुभ मुहूर्त में नए वस्त्र और धार्मिक सामग्री खरीदकर अपने घर अवश्य लानी चाहिए. साथ ही घर में व्यापार वृद्धि यंत्र या श्रीयंत्र स्थापित कर श्रीसूक्त का पाठ स्वयं अथवा आचार्य पंडित से कराया जाना चाहिए. धर्मशास्त्री व संस्कृत आचार्य पं. चंद्रभूषण शुक्ला ने बताया, पुष्य नक्षत्र को ज्योतिष में सबसे भाग्यशाली और शुभ माना जाता है क्योंकि इसका अर्थ ‘पोषण करने वाला’ है. इसे नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है. इस नक्षत्र में नई चीजों की खरीदारी, निर्माण कार्य और अन्य शुभ कार्य करने से सफलता और स्थायी समृद्धि मिलती है.

 जानकारों के मुताबिक वैसे तो पुष्य नक्षत्र कभी भी आये, इसमें खरीदारी व अन्य कार्य संपन्न करना बहुत शुभ होता है. लेकिन रवि पुष्य योग व गुरु पुष्य योग बहुत ही शुभ बताया गया है. जब पुष्य नक्षत्र रविवार को आता है, तो रवि-पुष्य योग का निर्माण होता है, जो तंत्र-मंत्र, दीक्षा ग्रहण और औषधि निर्माण के लिए बहुत फलदायी माना गया है. वहीं जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार को पड़ता है, तो गुरु-पुष्य योग बनता है, जो नवीन प्रतिष्ठान, आर्थिक लेन-देन, वाहन, भूमि-भवन, सोना-चांदी और इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है.

इन वस्तुओं का क्रय रहेगा शुभ

पुष्य नक्षत्र में सोना, चांदी, आभूषण, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, नया बही-खाता और मकान जैसी मूल्यवान वस्तुओं की खरीदारी शुभ मानी गई है. साथ ही नया व्यवसाय शुरू करने, किसी बड़े अनुबंध पर हस्ताक्षर करने और आर्थिक लेन-देन करने के लिए भी यह शुभ समय होता है. भवन, मंदिर, स्कूल या औषधालय जैसे निर्माण कार्यों का शुभारंभ भी इस नक्षत्र में बहुत शुभ होता है. पुष्य नक्षत्र की तिथि पर मां लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाकर, व्रत रखकर और पीले वस्त्र पहनकर गुरु के मंत्र ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवै नमः’ का जाप करना चाहिए.

इस नक्षत्र के संयोग पर खरीदारी को अत्यंत शुभ माना गया है, पुष्य नक्षत्र में बृहस्पति और शनि दोनों की पूजा मानी जाती है लाभकारी होता है.