पटना। भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह के राजनीति से दूर रहने के फैसले के बाद सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। जहां एक ओर उनके फैंस इस फैसले से हैरान हैं, वहीं दूसरी ओर उनके परिवार से जुड़ी नई बातें अब सामने आ रही हैं। इस पूरे विवाद पर अब पवन सिंह के ससुर रामबाबू सिंह ने बड़ा खुलासा करते हुए कई अहम बातें कही हैं।

विधायक बनाने की बात नहीं की

रामबाबू सिंह ने एक मीडिया इंटरव्यू में बताया कि पवन सिंह के ऊपर उनकी बेटी ज्योति सिंह को चुनाव मैदान में उतारने का दबाव डालने की जो बात कही जा रही है, वह पूरी तरह से झूठी है। उन्होंने साफ कहा तीन महीने पहले जब मैं पवन से मिला था, तो मैंने उनसे बस इतना कहा था कि मेरी बेटी के साथ अपने रिश्ते को संभालने की कोशिश करें। मैंने कभी उनसे ज्योति को चुनाव लड़वाने की बात नहीं की।रामबाबू सिंह ने यह भी कहा कि उन्होंने पवन सिंह से कई बार मुलाकात करने की कोशिश की, लेकिन अब वे उनकी कॉल तक नहीं उठाते। उनका कहना है कि इस पूरे विवाद को अनावश्यक रूप से राजनीतिक रंग दिया जा रहा है जबकि यह पूरी तरह व्यक्तिगत मामला है।

कराकट से जुड़ा है विवाद का सियासी सिरा

दरअसल पवन सिंह ने 2024 के लोकसभा चुनाव में कराकट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरकर सभी को चौंका दिया था। उस दौरान उनकी पत्नी ज्योति सिंह ने जमकर प्रचार भी किया था। चुनाव के बाद पवन सिंह हार गए, लेकिन क्षेत्र के लोगों ने ज्योति सिंह को पवन के स्थान पर राजनीति में देखने की इच्छा जताई। रामबाबू सिंह ने बताया कि कराकट के लोग चाहते थे कि ज्योति अगला चुनाव लड़े लेकिन पवन सिंह ने इस दबाव को नजरअंदाज किया। उन्होंने कहा कि पवन सिंह ने जनता की उम्मीदों से ज्यादा अपने निजी जीवन और परिवार को तरजीह दी जो अब चर्चा का विषय बना हुआ है।

निजी रिश्तों और राजनीति के बीच खींचतान

इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि फिल्मी सितारों के लिए राजनीति कितनी जटिल राह बन जाती है। पवन सिंह का यह कदम जहां उनके निजी जीवन में तनाव का संकेत देता है, वहीं यह भी दिखाता है कि उन्होंने परिवारिक प्राथमिकताओं को राजनीति पर हावी होने दिया। पवन सिंह के चुनाव न लड़ने के फैसले से उनके प्रशंसक निराश हैं, लेकिन सियासी जानकारों का मानना है कि यह फैसला राजनीतिक रणनीति से ज्यादा व्यक्तिगत परिस्थितियों से प्रेरित है।