कुंदन कुमार/ पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को करारा झटका लगा है। पार्टी के दो विधायकों नवादा से विभा देवी और रजौली (सुरक्षित) सीट से प्रकाश वीर ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। इससे पहले भी राजद के तीन विधायक – संगीता कुमारी, भरत बिंद और चेतन आनंद – पार्टी छोड़ चुके हैं। यह घटनाक्रम राज्य की राजनीति में हलचल बढ़ा रहा है। सूत्रों के अनुसार दोनों विधायक पिछले कुछ समय से पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे थे। खासतौर पर जब यह दोनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गया में हुई रैली के मंच पर नजर आए तो उनके आरजेडी छोड़ने की अटकलों को बल मिला। अब उनके एनडीए में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है।
टिकट कटने की आशंका और भाजपा से नजदीकी
विभा देवी जो पूर्व मंत्री राजबल्लभ यादव की पत्नी हैं ने 2020 में नवादा से आरजेडी के टिकट पर जीत हासिल की थी, लेकिन 2025 के लोकसभा चुनाव में जब पार्टी ने श्रवण कुशवाहा को टिकट दिया तब से वह पार्टी नेतृत्व से असंतुष्ट हो गई थीं। उनके समर्थकों का भी मानना था कि पार्टी ने वरिष्ठता की अनदेखी की। बाद में आरोप लगे कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी का खुला समर्थन नहीं किया। इसी कारण से तेजस्वी यादव उनसे नाराज हो गए। अगस्त 2025 में गया में पीएम मोदी की रैली में विभा देवी की मंच पर मौजूदगी ने यह संकेत दे दिया था कि वह जल्द ही पार्टी छोड़ सकती हैं। उनके भाजपा या जदयू से टिकट मांगने की अटकलें अब तेज हो गई हैं।
तेजस्वी यादव पर गंभीर आरोप
अपने इस्तीफे के बाद विभा देवी ने आरोप लगाया कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने सरकार गिराने-बनाने की सियासत के दौरान उनसे बड़ी रकम की मांग की थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भ्रष्टाचार नहीं किया और न ही कोई घूस ली। उनका कहना है कि जब उन्होंने पैसे देने से इनकार किया तो उनके और उनके परिवार पर झूठे आरोप लगाए गए और छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई। विभा देवी ने यह भी कहा कि उन्होंने कई मौकों पर पार्टी छोड़ने के प्रस्ताव ठुकराए, लेकिन अब उन्हें लग रहा है कि यही उनकी सबसे बड़ी गलती थी।
नाराजगी, नारेबाजी और अब नया रास्ता
रजौली से विधायक प्रकाश वीर जो 2015 में पहली बार विधायक बने थे भी पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज थे। अगस्त में एक वीडियो सामने आया था जिसमें पार्टी कार्यकर्ता ‘प्रकाश वीर को हटाओ’ के नारे लगा रहे थे। यह घटनाक्रम उनकी नाराजगी और भाजपा से बढ़ती नजदीकी की ओर इशारा करता था। दलित समुदाय से आने वाले प्रकाश वीर ने क्षेत्रीय विकास के लिए कई प्रयास किए, लेकिन स्थानीय स्तर पर उन्हें अपेक्षित समर्थन नहीं मिला। अब माना जा रहा है कि वह भी एनडीए में शामिल हो सकते हैं।
2020 में दी थी एनडीए को करारी शिकस्त
गौरतलब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में दोनों विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों से एनडीए प्रत्याशियों को शिकस्त दी थी। नवादा और रजौली, दोनों सीटों पर राजद को दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वोटों का अच्छा समर्थन मिला था। इन जीतों ने मगध क्षेत्र में पार्टी की पकड़ को मजबूत किया था, लेकिन अब जब दोनों विधायक पार्टी से अलग हो चुके हैं तो इन सीटों पर राजद की स्थिति कमजोर हो सकती है। साथ ही, भाजपा और जदयू को नया राजनीतिक मौका मिल सकता है।