Kishore Kumar Death Anniversary : साल 1987 में आज ही के दिन किशोर कुमार ने दुनिया को अलविदा कहा था. उन्होंने कभी संगीत की औपचारिक शिक्षा नहीं ली, लेकिन हर सुर में ऐसा जादू भरा कि सरहद पार के लोग भी उनके दीवाने हो गए. सिर्फ गायकी ही नहीं, बल्कि अभिनय में भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी. किशोर दा ने रोमांटिक हीरो से लेकर कॉमेडी रोल तक किया है, उनके हर किरदार को लोगों ने पसंद किया.

मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में हुआ था जन्म
किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 में मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में हुआ था. उनका असली नाम आभास कुमार गांगुली है. उनका जन्म एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वे कुल चार भाई-बहन थे, जिसमें किशोर कुमार सबसे छोटे थे. उनके भाई अशोक कुमार एक अभिनेता भी थे जिन्होंने हिंदी सिनेमा की कई फिल्मों में काम किया हुआ है. किशोर दा खुद भी किसी कलाकार से कम नहीं थे. गायकी के अलावा वो फिल्मों में अभिनय और संगीत भी बनाया करते थे. किशोर कुमार ने अपने जीवन में कुल चार शादियां की थी और उससे उनके दो बेटे अमित कुमार और सुमित कुमार हैं. उन्होंने 40 से भी ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया हुआ है.
कैसे मिला किशोर कुमार नाम ?
अशोक कुमार के कहने पर किशोर बॉम्बे (अब मुंबई) पहुंचे. शुरू में वे सिर्फ गायक बनना चाहते थे, लेकिन दादा मुनि ने उन्हें एक्टिंग की राह दिखलाई. फिल्म “शिकारी” में उन्होंने एक सैनिक का छोटा-सा रोल किया. उस वक्त उनका नाम “आभास कुमार” था. फिल्म के डायरेक्टर और अशोक कुमार ने मिलकर उन्हें नया नाम दिया… किशोर कुमार. यही नाम आगे चलकर एक पहचान बन गया.
योडलिंग स्टाइल के लिए थे मशहूर

लंबे संघर्ष के बाद संगीतकार खेमचंद प्रकाश ने किशोर को मौका फिल्म “जिद्दी” (1948) में दिया. ये उनका पहला गीत था जो देव आनंद पर फिल्माया गया. इसके बाद उन्होंने “मुकद्दर” फिल्म में योडलिंग स्टाइल की शुरुआत की, वो स्टाइल जिसने उन्हें सबसे अलग बना दिया.
2678 गाने गाए, 88 हिंदी फिल्में
अनगिनत रिकॉर्ड और अवॉर्ड से सम्मानित किशोर कुमार ने अपने जीवन में 110 से भी ज्यादा संगीतकारों के साथ 2678 गाने गाए हैं जिनमें से कुछ गानों के लिए उन्होंने खुद संगीत बनाया है. किशोर कुमार ने अपने फिल्मी करियर में सबसे ज्यादा गाने आर.डी.बर्मन के साथ रिकॉर्ड किए हैं. उन्होंने कुल 563 गाने आर.डी.बर्मन के संगीत पर गाए हैं. वहीं उन्होंने 88 फिल्मों में भी काम किया है. इनमें शिकारी (1946), नौकरी (1954), न्यू दिल्ली (1956), मुसाफिर (1957), चलती का नाम गाड़ी (1958), हाफ टिकट (1962), मिस्टर एक्स इन बॉम्बे (1964), पड़ोसन (1968), दूर का राही (1971), बढ़ती का नाम दाढ़ी (1974) शामिल है.
कुछ मशहूर किस्से
हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार
किशोर कुमार के जीवन से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा फिल्म निर्माता आर.सी. तलवार के साथ जुड़ा है. बताया जाता है कि एक बार किशोर दा ने उनके साथ काम किया, लेकिन तलवार ने उन्हें तय मेहनताने का आधा ही भुगतान किया. इससे नाराज़ होकर किशोर कुमार हर सुबह एक असली तलवार लेकर निर्माता के घर के सामने पहुंच जाते और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाते — “हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार… हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार…”. यह घटना आज भी उनके चंचल स्वभाव और अनोखी सोच की मिसाल मानी जाती है.
चलती का नाम गाड़ी — जिसे ‘फ्लॉप’ होना था, बन गई सुपरहिट!
किशोर कुमार उस दौर में कई सफल फिल्मों पर काम कर रहे थे, जिससे उनकी आमदनी काफी बढ़ गई थी. बढ़े हुए टैक्स से बचने के लिए उन्होंने एक योजना बनाई — अपने भाइयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ बनाई, यह सोचकर कि अगर फिल्म फ्लॉप हुई तो टैक्स का बोझ कम हो जाएगा. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था. फिल्म जबरदस्त हिट रही और जहां भी रिलीज़ हुई, खूब कमाई की. अगर किशोर दा यह फिल्म टैक्स बचाने के लिए न बनाते, तो शायद हिंदी सिनेमा को यह क्लासिक कॉमेडी कभी न मिलती.
‘आराधना’ में गानों में मोहम्मद रफी की होती थी आवाज
1968 की सुपरहिट फिल्म ‘आराधना’ के गाने आज भी लोगों की ज़ुबान पर हैं. फिल्म में ज़्यादातर गीत किशोर कुमार ने गाए, लेकिन शुरुआत में यह गाने मोहम्मद रफी को मिलने वाले थे. दरअसल, फिल्म के संगीतकार एस.डी. बर्मन बीमार पड़ गए थे, और उनके बेटे आर.डी. बर्मन ने जिम्मेदारी संभाली. रफी साहब ने पहले ही दो गाने — ‘गुनगुना रहे हैं भंवरे’ और ‘बागों में बहार है’ — रिकॉर्ड कर लिए थे. माना जाता है कि अगर एस.डी. बर्मन स्वस्थ होते, तो बाकी सभी गाने भी रफी साहब ही गाते. लेकिन परिस्थितियों ने किशोर कुमार को मौका दिया, और इन गीतों ने उनके करियर को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया.
एक ही गाने में किया डुएट
1962 की फिल्म ‘हाफ टिकट’ का मशहूर गीत ‘आके सीधी लगी दिल पे जैसे कटरिया’ मूल रूप से किशोर कुमार और लता मंगेशकर का डुएट होना था. लेकिन लता जी ने किसी कारणवश गाना गाने से मना कर दिया. तब किशोर दा ने यह गाना अकेले ही गाया — एक बार लड़के की आवाज़ में और दूसरी बार लड़की की आवाज़ में! उन्होंने अपनी आवाज़ में ऐसा कमाल किया कि किसी को यकीन नहीं हुआ कि पूरा गाना उन्होंने अकेले गाया है. गाने के वीडियो में वे प्राण साहब के साथ लड़की के गेटअप में भी नाचते नज़र आए थे. यह गाना और फिल्म दोनों ही खूब पसंद किए गए.
पहला प्यार और शादी — रूमा घोष से रिश्ता
फिल्मों के दौरान किशोर कुमार की मुलाकात अभिनेत्री रूमा घोष से हुई. दोनों में नज़दीकियां बढ़ीं और उन्होंने शादी कर ली. लेकिन यह रिश्ता लंबे समय तक नहीं चल सका. रूमा अपने करियर पर ध्यान देना चाहती थीं, जबकि किशोर दा चाहते थे कि वे परिवार संभालें. मतभेद बढ़े और दोनों का तलाक हो गया. उनका बेटा अमित कुमार बाद में कोलकाता में अपनी मां के साथ रहने लगा.
प्यार और शादी – रूमा घोष से रिश्ता
किशोर कुमार पर रिसर्च करने वाले प्रफुल्ल मंडलोई ने बताया कि फिल्मों के दौरान किशोर कुमार की मुलाकात अभिनेत्री रूमा घोष से हुई. दोनों में नजदीकियां बढ़ीं और उन्होंने शादी कर ली. लेकिन यह रिश्ता ज्यादा नहीं चल सका. रूमा अपने करियर पर ध्यान देना चाहती थीं जबकि किशोर चाहते थे कि वो घर संभालें. नतीजा — तलाक और बेटे अमित कुमार का कोलकाता चला जाना.
मधुबाला के लिए बदला धर्म
रूमा से अलग होने के बाद किशोर कुमार की जिंदगी में मधुबाला आईं. दोनों ने ‘झुमरू’ और ‘हाफ टिकट’ जैसी हिट फिल्मों में साथ काम किया. दिल की बीमारी से जूझ रहीं मधुबाला से किशोर दा ने 1 अक्टूबर 1960 को शादी की और इसके लिए उन्होंने धर्म परिवर्तन कर ‘अब्दुल करीम’ नाम अपनाया. लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था — 1969 में मधुबाला का निधन हो गया. यह घटना किशोर कुमार के जीवन का सबसे दुखद दौर साबित हुई.
तीसरी और चौथी शादी
आपातकाल (Emergency) के समय जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किशोर कुमार के गानों पर प्रतिबंध लगा दिया, तब भी उन्होंने किसी के आगे सिर नहीं झुकाया. इस बीच उन्होंने अभिनेत्री योगिता बाली से शादी की, लेकिन यह रिश्ता भी टूट गया. इसके बाद उनकी जिंदगी में अभिनेत्री लीना चंद्रावरकर आईं, जिनसे उन्होंने चौथी शादी की. उम्र में काफी छोटी होने के बावजूद लीना और किशोर दा के बीच गहरा प्यार था, और यह रिश्ता उनके जीवन के अंतिम दिनों तक कायम रहा.
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