चंडीगढ़। पंजाब में आवारा पशु अब सिर्फ ट्रैफिक की समस्या नहीं, बल्कि जानलेवा खतरा बन चुके हैं. हाल के महीनों में राज्य में सड़क हादसों में 35% की वृद्धि दर्ज की गई है, जिनमें बड़ी संख्या में कारण सड़कों पर घूमते आवारा पशु हैं. मशहूर पंजाबी गायक राजवीर जवंदा की सड़क हादसे में मौत ने एक बार फिर प्रशासन और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

राजवीर जवंदा की गाड़ी की टक्कर एक आवारा पशु से हो गई थी, जिसके बाद उन्हें गंभीर चोटें आईं और उनकी मृत्यु हो गई. यह हादसा 2016 में लागू गौ-सेस की प्रभावशीलता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह बन गया है. मामला अब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट तक पहुंच गया है, जहां गौ-सेस के उपयोग और फंड के पारदर्शी प्रबंधन को लेकर सख्त सवाल उठाए जा रहे हैं.

पंजाब में 1.80 लाख आवारा पशु, अमृतसर सबसे आगे

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य में करीब 1.80 लाख आवारा पशु सड़कों पर घूम रहे हैं. इनमें गाय, बैल और भैंस शामिल हैं. अमृतसर में स्थिति सबसे चिंताजनक है — यहां अकेले 4,000 से अधिक आवारा पशु शहर की सड़कों और चौराहों पर यातायात में बाधा डाल रहे हैं.
इन पशुओं के कारण ट्रैफिक जाम, वाहन क्षति और घातक सड़क हादसों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं.

विशेषज्ञों ने सुझाया समाधान

परिवहन और शहरी विकास विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि इस समस्या के समाधान के लिए नगर निगम, प्रशासन और सामाजिक संगठनों की संयुक्त टीम बनाई जाए.
टीम को चाहिए कि:

  • आवारा पशुओं की गिनती और लोकेशन की पहचान करे.
  • पशुओं को स्थायी गौशालाओं में स्थानांतरित करने की व्यवस्था बनाए.
  • गौ-सेस फंड की पारदर्शी जांच और वास्तविक उपयोग सुनिश्चित किया जाए.

जनता और प्रशासन दोनों के लिए चेतावनी

यह बढ़ती समस्या प्रशासन के लिए जहां नीतिगत विफलता का संकेत है, वहीं आम नागरिकों के लिए भी सड़क सुरक्षा के नए खतरे की चेतावनी है. अब जरूरी है कि सरकार जल्द ठोस कदम उठाए, ताकि आवारा पशुओं से जानलेवा हादसों की यह श्रृंखला थमे और सड़कों पर सुरक्षित यातायात सुनिश्चित हो सके.