अभय मिश्रा, मऊगंज। मध्य प्रदेश के शहडोल में कई घोटालों के बाद अब मऊगंज से फर्जी बिल के जरिए लाखों रुपए का सरकारी भुगतान कराने का मामला सामने आया है। नईगढ़ी जनपद की पहिलपार ग्राम पंचायत में सिर्फ पांच पेज की फोटोकॉपी के लिए 1000 रुपए का भुगतान किया गया। यानी प्रति पेज 200 रुपए। जबकि बाजार रेट मात्र 2 रुपए है। जांच में खुलासा हुआ कि 10 लाख रुपए से अधिक का भुगतान एक ही बिल के माध्यम से किया गया, जबकि पोर्टल पर बिल क्रमांक अलग-अलग दर्शाए गए।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिन वेंडर को भुगतान किया गया, वह खुद ग्राम पंचायत की सरपंच शतरूपा द्विवेदी का हैं। सरपंच ने अपने ही नाम से वेंडर बनाकर फर्जी बिल-वाउचर तैयार किए और ग्राम पंचायत की राशि सीधे अपने खाते में ट्रांसफर कराई।

पंचायत राज अधिनियम के मुताबिक, कोई भी निर्वाचित प्रतिनिधि या उसका परिजन पंचायत से आर्थिक लाभ नहीं ले सकता, लेकिन पहिलपार पंचायत में नियमों की पूरी तरह अनदेखी की गई। इतना ही नहीं, अधिकांश बिल धुंधले और अधूरे डाउनलोड किए गए, जिनमें न राशि स्पष्ट है, न तारीख, जिससे यह साफ होता है कि फर्जी बिलों के जरिए 10 लाख रुपए से अधिक की हेराफेरी की गई।

सूत्रों के अनुसार, इस तरह के फर्जी भुगतान कई अन्य ग्राम पंचायतों में भी किए जा रहे हैं, लेकिन शिकायतों के बावजूद प्रशासन और उपयंत्री कार्रवाई से बचते नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि अधिकारियों के द्वारा इन फर्जी बिलों को वेरीफाइड किया गया, जिनकी अनुशंसा पर ही भुगतान हुआ।

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