कुमार इंदर, जबलपुर। छिंदवाड़ा और बैतूल में कफ सिरप से 25 बच्चों की मौत के बाद प्रशासन अलर्ट मोड पर है। इसी कड़ी में जबलपुर की कटारिया फार्मा कंपनी पर शिकंजा कसा गया है। कंपनी का लाइसेंस निरस्त और ऑफिस-गोदाम पर प्रशासन ने ताला जड़ दिया।

खाद्य एवं औषधि विभाग ने जबलपुर में बिना अनुमति दवाओं के स्टॉक पर सख्ती दिखाई है। जबलपुर की कटारिया फार्मा की जांच में गंभीर अनियमितताएं पाई गई। जिसके चलते कंपनी का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया। वहीं पुलिस और प्रशासन ने कंपनी के ऑफिस और गोदाम को सील कर दिया है।

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दरअसल, कटारिया फार्मास्युटिकल के पास चेन्नई की श्री सन फार्मा कंपनी की डीलरशिप 20 साल से थी। चेन्नई की कंपनी से 660 कोल्ड्रिफ कफ सीरप मंगाई थी। जिसमें 594 बॉटल कफ सीरप को न्यू अपना एजेंसी, आयुष फार्मा और जैन मेडिकल एवं जनरल स्टोर्स में सप्लाई किया था। 3 अक्टूबर को छिंदवाड़ा, जबलपुर, मंडला और बालाघाट के ड्रग और औषधि विभाग के अधिकारियों की टीम ने छापा मारा था। बची हुई 66 बॉटल को फ्रीज करते हुए 16 बॉटल सैंपल भोपाल लैब जांच के लिए गए भेजे गए थे।

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गौरतलब है कि छिंदवाड़ा और बैतूल में जहरीला कफ सिरप से अब तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है। परासिया के सिविल अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीन सोनी अपने निजी क्लीनिक में बच्चों का इलाज कर रहे थे। निजी प्रैक्टिस के दौरान शिशुओं को ऐसी दवाइयां पर्चे पर लिखी गई, जिसके सेवन के बाद बच्चों को तेज बुखार और पेशाब में कठिनाई हुई और उनकी किडनी पर विपरीत प्रभाव पड़ा।

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